Friday, 21 February 2025

मेरी अहमियत

मैंने उनको अपना समझा था
बहुत नाज था उन पर
सोचा था 
मेरे बिना तो ये रह ही नहीं पाएंगे 
भ्रम में जी रहा था 
एक कदम स्वयं के लिए उठा लिया
सबको बहुत अखर गया
मैं मान में बैठा था 
रूठा था 
विश्वास था 
मुझे कोई मनाने आएगा 
मैं इंतजार करता रहा
कोई नहीं आया 
सब आशा - विश्वास चूर-चूर हो गये 
अब पता चला 
मेरी कितनी अहमियत उनके जीवन में है 

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