बहुत नाज था उन पर
सोचा था
मेरे बिना तो ये रह ही नहीं पाएंगे
भ्रम में जी रहा था
एक कदम स्वयं के लिए उठा लिया
सबको बहुत अखर गया
मैं मान में बैठा था
रूठा था
विश्वास था
मुझे कोई मनाने आएगा
मैं इंतजार करता रहा
कोई नहीं आया
सब आशा - विश्वास चूर-चूर हो गये
अब पता चला
मेरी कितनी अहमियत उनके जीवन में है
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