Saturday, 22 February 2025

बदल गई

मैं तुझे बेहतर बनाना चाहता था
बेहतर की कोशिश में तुझे जीना ही भूल गया
बेखबर इस बात से 
तू क्या चाहती है 
तुझे किससे खुशी हासिल होगी 
मैं सोचता रहा 
तू खिसकती गई 
अब लगता है 
कि कैसे यह सब हो गया 
सुनहरे पल हाथ से छूट गए 
तू भी वह न रही 
कितना कुछ बदल गई 

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