Monday, 24 February 2025

जो होना है

कुछ ख्वाब देखे थे मैंने 
कुछ सपने सजाए थे 
उनको साकार करना था 
उसी चक्कर में चक्कर पर चक्कर लगते रहे 
हम उसे अपने इर्द-गिर्द लपेटने में लगे रहे 
खुश भी होते रहे 
कुछ टूटे भी कुछ पूरे भी 
अब कुछ नहीं दिखता 
देखना जो छोड़ दिया है 
अब लगा ऐसा
इसमें तो कुछ भी नहीं रखा है 
जो होना है वह होना ही है 

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