बहना मेरा स्वभाव
मैं कभी रुकती नहीं
मैं कभी थकती नहीं
अनवरत बहती जाती
आगे बढ़ती जाती
मैं बस देती जाती
मैं प्यार की स्नेह की धारा
घुमक्कड़ी हूँ मैं
एक जगह रुकती नहीं
प्रवास करती रहती
सबको अपने साथ जोड़ती जाती
मुझे रोकने की कोशिश न करें
यह तो अपने आप अपना विनाश
भंवर में फंस जाएगे
जहाँ से निकलना मुश्किल
मेरे साथ चलते चले
बहते चले
मैं विकास के पथ पर ले जाऊंगी
मैं पीछे नहीं आगे बढ़ती हूँ
विपरित परिस्थिति में भी नहीं मुड़ती
बस चलो मेरे साथ
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