Saturday, 22 February 2025

मैं धारा हूँ

मैं धारा हूँ 
बहना मेरा स्वभाव 
मैं कभी रुकती नहीं
मैं कभी थकती नहीं 
अनवरत बहती जाती
आगे बढ़ती जाती 
मैं बस देती जाती 
मैं प्यार की स्नेह की धारा
घुमक्कड़ी हूँ मैं 
एक जगह रुकती नहीं 
प्रवास करती रहती 
सबको अपने साथ जोड़ती जाती
मुझे रोकने की कोशिश न करें 
यह तो अपने आप अपना विनाश 
भंवर में फंस जाएगे
जहाँ से निकलना मुश्किल 
मेरे साथ चलते चले
बहते चले 
मैं विकास के पथ पर ले जाऊंगी 
मैं पीछे नहीं आगे बढ़ती हूँ 
विपरित परिस्थिति में भी नहीं मुड़ती 
बस चलो मेरे साथ 

No comments:

Post a Comment