तू मुझे बहुत भाती है
तुझ बिन दिल लगता नहीं कहीं
वह गांव की शांति हो या गुलाबी ठंडी
पेड़- पौधे का बगीचा
नदी - पोखर का किनारा और ठंडी हवा
बारीश की फुहार और बिजली की कड़कड़ाती
मोर का नृत्य या कोयल की कूं
गौरयों की चीं चीं
खुले आकाश का छत और चांद
सूरज की किरणों का साथ
एक - दूसरे के साथ बैठकी हो
तीज - त्योहार या पूजा - पाठ
मंदिर का घंटा या मस्जिद की अजान
इन सबसे अंजान नहीं हम
अच्छे लगते हैं सब
हमको यह जीवन फिर भी रास नहीं आता
आदत जो पड़ गई है
भागम-भाग करने की
छोटे जगह में एडजस्ट करने की
समय के अनुसार चलने की
घड़ी की सुईयों के पहले भागने की
रेल की छुकछुक और बस की पौं पौं
एक मिनट का भी समय नहीं
मुड़कर देखने और बतियाने का
सजने - संवरने और गप्पे - गोष्टी करने का
सब एक - दूसरे से अंजान
हाय - हैलो तक ही सीमित मुलाकात
फिर भी हमको जीने में मजा आता है
कभी कोई कमी जैसा लगता ही नहीं
पानी पुरी और सेव पुरी खाकर आनन्दित हो लेते हैं
रास्तें पर मोलभाव कर लेते हैं
ऑटों - टैक्सी में बैठ खुश हो लेते हैं
एक रविवार को घर का सब काम निपटा लेते हैं
कार- बंगला की अपेक्षा नहीं
अपने छोटे से घर में खुश हो लेते हैं
ज्यादा प्रपंच में नहीं पड़ते
सीमित जिंदगी जीते हैं
दिखावे से कोसो दूर रहते हैं
जो है जितना है उसी में गुजारा करते हैं
नहीं किसी के आगे हाथ फैलाते
अपनी मेहनत पर भरोसा करते हैं
हर काम को तवज्जो देते हैं
किसी को कम नहीं समझते
कहने को तो हम रहते महानगर में
झूठे आडंबर का दिखावा नहीं करते
यह सब हमको मुंबई ने सिखाया है
रोजी - रोटी दी है
दिल से सम्मान और प्यार करते हैं
भले औरों के पास खुला आसमान हो
हमारे पास खुला दिल है
सबको अपनाती है मेरी मुंबई
किसी को भूखा नहीं रहने देती
मेहनत की कद्र करती है
फर्श से अर्श तक पहुंचाती है
तुमको तुम्हारा जहां मुबारक
हमें हमारी मुंबई
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