समझौता होता है
शांति की दरकार होती है
इस आंरभ और अंत के बीच विनाश होता है
जीवन की हानि होती है
जीवन पीछे चला जाता है
जो बचे उनको फिर से नई शुरुआत करनी पड़ती है
खोने का दर्द होता है
सामान्य होने में दशकों लग जाता है
लेकिन फिर भी युद्ध होता है
हो रहा है , होता रहेगा
सबसे बड़ी विडंबना
अपने ही हाथों अपना विनाश
कुछ जमीन के लिए
कुछ ईगों के लिए
कुछ धर्म के लिए
हमेशा रहना नहीं है पृथ्वी पर
प्रलय का भी ठिकाना नहीं
जीवन तो कब सांस निकले
यह भी ज्ञात नहीं
सब जानता - समझता मानव
फिर भी युद्ध करता है
विनाश का इतिहास है
फिर भी युद्ध करता है
अपना विनाश और निर्माण
उसके स्वयं के हाथ में
बुद्ध, ईसा ,महावीर और गांधी क्या कर लेंगे
जब सुदर्शन चक्र धारी भी मजबूर हो गए
मानव अपना स्वभाव छोड़ना नहीं चाहता
कोई पहल करना नहीं चाहता
किसी की बात समझना और सुनना नहीं चाहता
कहीं न कहीं युद्ध जारी है
बारुद के ढेर पर खड़ा
अपने विनाश का संशोधन तैयार कर रहा है
अरबों - खरबों खर्च कर रहा है
विज्ञान ही ले डूबेगा जिसके बल पर इतराता है
किसी महामानव की प्रतीक्षा कर रहा है
बार - बार वे भी अवतरित नहीं होने वाले
अब भी संभल जाओ
जीओ और जीने दो
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