Sunday, 20 July 2025

टा टा बोलो सबको

उजली धूप ने  मन मोहा 
सूरज ने भी डाला डेरा 
रोशनी आने लगी छन - छन कर 
कोयल गीत गाने लगी मन भरकर 
कौआ कहाँ पीछे रहता 
वह कांव-कांव करता रहा 
कान सोचने लगे 
किसकी आवाज सुने 
मीठी बोली या कर्कश स्वर 
तब तक चीं चीं करती चिड़िया आई 
दाना - पानी ले फुर्र से उड़ी 
उसको अपने से ही फुर्सत नहीं 
इस पचड़े में वह क्यों पड़े 
अपने में ही रहना 
न कोई बंधन न कोई टंटा 
सबको बोलो टा टा 

No comments:

Post a Comment