दुख - दर्द साझा किया था
उसने तो उसका विज्ञापन ही कर डाला
छिपी बात को भी सार्वजनिक कर डाला
मैंने तो उसे अपना समझा
उसने मेरे बारें में सबको समझाया
अब तो जहाँ से गुजरू
हर ऑख मुझे ही देखती है
कुछ फुसफुसाती रहते हैं आपस में
कुछ व्यंग्य से मुस्कराते हैं
जो मुझे नहीं जानते थे
वह भी जानने लगे
मुझे तो जैसे प्रसिद्धि प्राप्त हो गई
वह तो सामान्य है मुझे असामान्य बना दिया
कहती है मैं तेरी दोस्त हूँ
मन का भार हल्का हो जाएगा
कैसे कहूं कि
तूने तो उसे भारी बना दिया
बात को कहाॅ से कहाॅ पहुंचा दिया
अब तो सोच लिया
मन की बातें मन में
नहीं कहना किसी से
यहाॅ कोई नहीं किसी का
सब मतलब के मीत
जग की यही है रीत
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