खुशियां आई है
कुछ यादें साथ में लाई है
बड़े - बड़े अरमानों के साथ पधारी है
कहीं कसर न रह जाए
इसका भी ध्यान रखा जाए
स्वागत करना मन से
दिल उसका प्रसन्नता से भर जाएं
पुराने पलों को जी भर जी ले
घर में रौनक छाई है
हर जगह बहार है
घर का कोना - कोना तरंगित है
हंसी के ठहाके लग रहे हैं
नोक-झोंक भी बरकरार है
बचपन जीवंत हो उठा है
उम्र भूल बच्चे बन बैठे हैं
जवानी की दहलीज पार हुई
बुढ़ापा दस्तक दे रहा
मन फिर भी पीछे ही अटका है
आज सब भूल जाने को जी करता है
गिले - शिकवे वो भी अपनों से
नहीं भा रहा है
मन में बस प्यार उमड़ रहा है
सहोदर है हम
नहीं दूर हैं हम
मन से मजबूर हैं हम
बिन उसके सब कुछ है फीका
उसके आगे सब है रीता
माँ जाई है वह
तभी तो मन को हमेशा भायी है
उसक न कोई दूजा
वह तो है मेरी बहना
उसका क्या कहना
बहन आई है
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