सब कुछ खाक देखा
नहीं रहता कुछ बाकी
सब कुछ खत्म हो जाता
आग से ही राख है
नश्वरता का नाम है
सजीव- निर्जीव सब इसमें समाते
अस्तित्व खत्म कर जाते
सुलगती रहती जब तक ठंडी न हो जाती
ठंडी तब होती जब नाश हो जाता
अग्नि उर्जा है
राख खाद है
मिट्टी में मिल कर एक्सर हो जाना उसका काम है
जिस बीज से वृक्ष
उसी वृक्ष से आग
फिर सब राख
यही है जीवन चक्र
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