Thursday, 14 August 2025

चलता चला जा रहा

सफर तो लंबा है 
कितना लंबा यह तो नहीं जानता 
बस चल रहा हूँ 
मंजिल तक पहुंचुगा 
यह तो विश्वास है 
आशा और विश्वास के साथ 
दृढ़संकल्प के साथ चलना शुरु है 
बाधा तो है 
इतनी आसान भी नहीं मंजिल 
हार नहीं मानूगा 
चलता ही रहूंगा 
जब तक न मिले मंजिल 
संघर्षों से मैं अंजान नहीं 
मेहनत से घबराहट नहीं 
हिम्मत से सराबोर मैं मुसाफिर 
चलता चला जा रहा 
बस रुकना नहीं 
मायूस होना नहीं 
हार मानना नहीं 
यही सोच कदम बढ़ाता जा रहा 
मैं चलता चला जा रहा 

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