Thursday, 21 August 2025

समय

समय था 
बहुत कुछ करने का 
समय की गति को जब तक समझा 
बहुत कुछ हो चुका था 
समय ने इंतजार नहीं किया 
वह तो अपनी ही रौं में बहता रहा 
आगे बढ़ता रहा 
मैं ही उसके साथ चल न पाया 
कदम ताल न कर पाया 
वह भागता रहा 
मैं उसके पीछे जाता गया 
मैंने थोड़ा रुक विश्राम कर लिया 
वह इतना आगे बढ़ गया
मैं बस दूर से ताकने के सिवा कुछ न कर सका 

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