बहुत कुछ करने का
समय की गति को जब तक समझा
बहुत कुछ हो चुका था
समय ने इंतजार नहीं किया
वह तो अपनी ही रौं में बहता रहा
आगे बढ़ता रहा
मैं ही उसके साथ चल न पाया
कदम ताल न कर पाया
वह भागता रहा
मैं उसके पीछे जाता गया
मैंने थोड़ा रुक विश्राम कर लिया
वह इतना आगे बढ़ गया
मैं बस दूर से ताकने के सिवा कुछ न कर सका
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