Sunday, 24 August 2025

घर बनाया

घर बनाया सपनों का 
सोचा था 
मन - मुताबिक सजाएंगे
आराम से रहेंगे 
मेहमानों की आवभगत करेंगे 
क्या पता था 
हम स्वयं मेहमान बन जाएंगे 
कर्ज का बोझ चुकाते रहेंगे 
घर - द्वार छोड़कर कहीं दूर जाना पड़ेगा 
यही आजकल की कहानी है 
हर युवा उलझा है 
भाग रहा है सपनों के पीछे 

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