वह छोटी सी
वह भोली सी
वह पागल सी
वह नटखट सी
वह हंसती रहती
खाती रहती
सोती रहती
सपनों में खोई रहती
कहानी - कथा से प्रेम करती
सबसे अंजान अपने में ही मस्त रहती
उछलती- कूदती रहती
न उसे अपना भान न संसार का ज्ञान
यह सब तो है बचपन की बात
न जाने कब बड़ी हो गई
सब कुछ भूल गई
जिम्मेवारियों तले दब गई
हंसना तो जैसे भूल ही गई
सपने देखना छोड़ दिया
नासमझ से समझदार बन गई
जिम्मेदारियों तले दब गई
वह स्वयं एक कहानी बन गई
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