Monday, 18 August 2025

मैं और हम

मैं कभी टूटी नहीं 
न कभी न अभी 
ऐसा कुछ तो है 
जो जीने की वजह हो 
सोच कर देखा 
वजह की कमी नहीं 
अपने लिए न सही 
दूसरे ही सही 
प्रेम का पलड़ा हमेशा भारी रहा 
उसने कभी टूटने ही दिया 
जब - जब निराशा आई 
वो सामने खड़ा हो गया 
तुम्हारी जिंदगी क्या केवल तुम्हारी 
मानो यह प्रश्न कर रहा 
तब लगा 
नहीं यह ठीक कह रहा 
हम केवल हम ही नही
मैं तो अकेले नहीं 
तभी तो हम हूँ 
इस हम में बहुत से लोग शामिल है 
उनके सपने - आशा - आंकाक्षा हैं 
उनको तोड़ना उचित नहीं 

No comments:

Post a Comment