लोगों को सुनता रहा
उनकी राय जानता रहा
अपने को अच्छा साबित करने की कोशिश करता रहा
सब बेअसर रहा
उन्होंने सोच ही लिया था
मुझमें कमियां निकालने की
मैं खूबी तलाश करता रहा
वो कमी ढूंढते रहे
अब तो हालात ऐसे हैं
शक होता है
मुझमें कुछ अच्छाई है या नहीं
गलत ही रहा हमेशा
जब सोच ही लिया
मैंने भी छोड़ दिया
तुम रहो अपनी खूबियों के साथ
मैं जो हूँ
जैसा हूँ
उसी में खुश हूं
अब न परवाह न चिंता
सब कुछ है वैसे का वैसा
मैं क्यों बदलूं स्वयं को
बनाऊ तुम जैसा
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