ख्वाब दिन में
ख्वाब रात में
ख्वाब बुनने में
ख्वाब साकार करने में
बहुत कुछ लगता है
यह तो उसी को पता
जिसने ख्वाब देखा हो
टूटता भी है
हर ख्वाब पूरा हो
कोई टूटे नहीं
ऐसा नहीं होता
टूटने पर देखना क्यों छोड़ना
देखते रहो
ख्वाब पूरा हो तब अच्छा
न हो तो दूसरा
बस छोड़ना नहीं
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