Monday, 29 August 2016

राष्ट्रीय क्रीडा दिवस - हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्मदिन

आज मेजर ध्यानचंद ,हॉकी के महान खिलाडी का जन्म
हॉकी के इस जादूगर  का खेलते समय स्टिक चिपक जाती थी और वैसा हॉकी का करतब फिर नहीं दिखा
खेलों को बढावा देना ,प्रोत्साहित करना
आज की मांग
१२१ करोड वाले देश को केवल दो पदक
पदकों के लिए तरसता देश
हम शिक्षा पर तो खर्च कर सकते हैं पर खेलों पर नहीं
क्योंकि वहॉ भविष्य उम्दा नजर नहीं आता
" खेलोगे - कूदोगे बनोगे गँवार
पढोगे - लिखोगे बनोगे नवाब"
यह धारणा थी पर समय बदल रहा है
खेल दम- खम और गति का ही नहीं
प्रसिद्धि और संपत्ति भी दिला रहा है
लडके क्या लडकियॉ भी बढ- चढकर भाग ले रही है
अपने जलवे भी दिखा रही है
मैदान पर बाजी मार रही है
पर फिर भी बहुत कुछ बाकी है
हॉकी ,कबड्डी ,कुश्ती तो हमारे पारंपरिक खेल है
इनमें तो हम सबको पछाड ही सकते हैं
खिलाडी खेले ,खेल भावना से न कि स्वार्थ से
लालच और स्वार्थ जहॉ ,वहॉ खेल तमाम.
बल्ला घुमाएं तो तेंडुलकर जैसे
मुक्केबाजी मैरी कॉम जैसे
दौड लगाए तो पी टी उषा की तरह
कमाल दिखाए तो सिंधु और पटखनी दे तो साक्षी के भुजदंडो से
खेल केवल खेल हो ,भ्रष्टाचार का उसमें नाम - निशान न हो
खेल में अग्रणी हो हमारा हिन्दूस्तान
ओलंपिक में तिरंगा फहराए और शान दिखाए.

Sunday, 28 August 2016

आया सावन - जीवन का पाठ पढाता सावन

तन बावरा ,मन बावरा ,जब सावन आया हरा भरा
मदमस्त कर रही ये हवा
छा रही काली घटा ,पड रही रिमझिम फुहार
सृष्टि भी मना रही जन्मोत्सव
नवा महीना ,सृजन का महीना
हमेशा सबको रहता है इंतजार
हरियाली ने मखमली सेज बिछाई
त्योहारों की रंगत आई
गया आषाढ आया सावन करता भादों का इंतजार
पेड- पौधे ,पशु- पक्षी सब तृप्त हुए
चिडियॉ चहकने लगी ,कोयल कुहकने लगी
मोर पंख फैला नाचने लगे ,पपीहा पी- पी करने लगा
मेंढक भी टर्राने लगे, कीट- पंतगे भी बोलने लगे
संगीत की लहरियॉ गुंजने लगी
मायके में बेटियॉ आने लगी
परिवार की रंगत खिलने लगी
सब इकठ्ठा हो जश्न मनाने लगे
मन हरा , तन हरा ,प्रकृति का हर अंग हरा
पर यह भी है क्षणभंगुर
शीतल कर जाता और जाते- जाते शीत त्रृतु भी दे जाता
प्रकृति अपना खेल दिखाती
हर चार महीने बाद घर बदलती
जीवन का संदेश सिखाती
नश्वरता का पाठ पढाती
कुछ नहीं यहॉ स्थायी
चाहे वह बचपन हो, युवावस्था हो या वृद्धावस्था
अमरता का वरदान किसी के पास नहीं
काल किसी का मोहताज नहीं
कब कौन- सा करवट ले
यह पाठ भी पढाता जाता सावन

Saturday, 27 August 2016

मदर टेरेसा - आज देश आपको याद कर रहा है

सात समुन्दर पार से आई एक खूबसूरत परी
वह और कोई नहीं हमारी मदर टेरेसा थी
एक बार आई तो यही की हो रह गई
फिर वापस कभी नहीं गई
कुष्ठ रोगियों और गरीबों की पीडा न देख सकी
वह मॉ बन गई सबकी
सेवा के पथ पर चल पडी
कोलकाता की झोपडपट्टी से शुरू हुआ सफर
आजीवन चलता रहा
अपना जीवन दीन- असहायों को समर्पण कर देना
किसी एक बच्चे की मॉ नहीं वह सारे भारत की मॉ बन गई
बहुत कुछ विवाद भी हुए उनके नाम से
धर्म प्रचार का आरोप लगाया गया
पर सारे आरोपों को धता बता वह सेवा कार्य में लगी रही
उनकी सेवा के आगे कोई न टिक सका
भारत माता की वे असली बेटी बन गई
तिरंगे में लपेट कर उनको अंतिम बिदाई दी गई
ऐसा समर्पित जीवन और सादा बिरले ही मिलेगे
सफेद साडी ,नीले पट्टे वाली यह उनकी पोशाक थी
लगता है कि नीले आसमान ने अपनी इस सफेद परी को धरती पर भेजा हो
सौभ्यता और चेहरे पर मुस्कराहट बरकरार रखने वाली
मदर हमारे बीच नहीं है
पर उनके अमूल्य योगदान को सदियों तक याद रखा जाएगा
उनको संत की उपाधि देने की तैयारी चल रही है
वास्तव में वह एक महान संत ही थी
जिन्होंने सब कुछ
अपना घर ,देश ,सारी इच्छाओं का त्याग कर जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया
वे भारत की न होकर भी यही को हो रह गई
और देश ने उनके कार्यों को सराहा ,सम्मान भी दिया
वे भारत रत्न भी बनी
आज भी वे हमारी है तथा हम पूरे सम्मान के साथ  उनके जन्मदिन पर उन्हें याद कर रहे हैं
देश की बेटी और मानवता की देवी को प्रणाम

Friday, 26 August 2016

बचपन के दिन भी क्या दिन थे

बचपन के दिन भी क्या दिन थे
वह रूठना ,जमीन पर लोटना
किसी चीज के लिए जिद पर अडना
गुस्सा आने पर पैर पटकना
चीजों को फेकना
मुँह फुलाकर बैठना
बिना कारण बक बक करना
हँसना और खिलखिलाना
लपाछिपी और खो- खो खेलना
बगीचे में तितलियॉ पकडना
गिरती पंतग को पकडने के लिए दौडना
पानी में छप- छप करना
खाना नहीं खाना बस खेलना
देर तक सोना
पढने में बहानबाजी करना
सबका मजाक उडाना
नकल करना
न चप्पल की परवाह ,नंगे पैर ही भागना
दोस्त ने कोई चीज ले ली तो उससे झगडना
आमऔर जामुन पर पत्थर मार गिराना
कच्ची कैरियॉ मुँह बना- बनाकर खाना
शाम को देर से घर आने पर पिता की डाट सुनना
मॉ का बचाना
तरह- तरह के झूठ बोलना
दोस्तों में डींग हाकना
जाने कहॉ सब लुप्त हो गया
हम तो अब बन गए है बडे
सब कुछ समय से करना
हर काम सोच- समझ कर करना
दिल में दर्द हो पर होठों पर हँसी बिखेरना
गुस्से को दबाकर रखना.
हर जिम्मेदारी को निभाना
मन न करे तब भी वह काम करना
क्योंकि अब हम बडे हो गए है
काम के बोझ तले दब गए हैं
बचपन तो कहीं खो ही गया है
बस बची है उसकी यादे
जो महसूस कराती है कि हम भी कभी बच्चे थे
और ले आती है हँसी यह कहती हुई कि
बचपन के दिन भी क्या दिन थे

      शुक्रिया  बचपन ,अलविदा बचपन

भगवान के नाम पर भ्रष्टाचार

भगवान के नाम पर व्यापार
लाखो- करोडो की कमाई
चंदा वसुलना और मौज- मजा करना
साल भर का इंतजाम
नौकरी और मेहनत की क्या जरूरत
जब ऐसे ही पैसे मिल जाय
हर घर - मुहल्ले और गली.
सब जगह चंदा वसुलना
एक तो सामान्य आदमी पर मंहगाई की मार
ऊपर से आ जाए चंदे की मांग
अगर रहना है तो चंदा देना ही है
चंदा भी पॉच- दस नहीं
कम से कम सौ से ऊपर ही
सब जगह मंहगाई पर मार
तो भगवान पर क्यों नहीं
गरीब के घर रोटी न बने ,कोई बात नहीं
पर लाउड स्पीकर जरूर बजेगा
भक्तों की भीड बढती ही जा रही है
भगवान के दर पर
एक के बाद एक त्योहार आ रहे हैं
चंदे का भी इंतजाम करना है
किताब - कॉपी का भले न हो
दानदाता भी पीछे नहीं है
चढावे की भी भरमार है
कौन सा भगवान कितना मंहगा
यह तय तो करता है चढावा
भगवान किससे प्रसन्न होगे
चांदी ,सोना या रूपयों से.
या भक्ति और श्रद्धा से...

भारत की गरीबी मॉझी के कंधों पर


पत्नी की लाश कंधे पर लेकर मॉझी चला
अमीर देखते रहे ,गरीब असहाय हो रहे
साथ में चलनेवाली सहधर्मिणी कंधे पर चली
मासूम बेटी साथ- साथ रोती चली
किसी का दिल न पसीजा
सरकार की योजना धरी की धरी रह गई
मरने पर चार कंधों की बजाय अकेले चली
अमीर व्यक्तियों की संख्या में सातवॉ
पर गरिबी में सबसे पिछडा
जीते- जी तो भूखे मरे
मरने पर तमाशा बन चले
लोग देखते रहे ,मॉझी चलता रहा
समाचारों की सुर्खिया बना
तब जाकर चेते कुछ लोग
गरीबी में जीना ,गरीबी में ही मरना
मरने पर कफन की बात तो दूर
चार पहियों की सवारी का भी न इंतजाम कर पाना
कितना बेबस ,लाचार पति
पर फिर भी हिम्मत तो देखो
हार नहीं मानी
न जाने कितने किलोमीटर चलता रहा
सरकार और समाज के मुंह पर तमाचा मारता रहा
लोग मुकदर्शक बने रहे
त्योहारों पर लाखों रूपये पानी की तरह बहाया जाय
चुनाव में करोडो रूपये खर्च हो
जिम में पसीने बहाए जाय
पर गरीब सदा गरीब ही मरे
यह तो विडंबना है देश की
भगवान के दरबार सोने से भरे पडे हैं
पर गरीब के घर में निवाला भी नहीं है
इतना मायूस हो रहा है ,दर्द को झेल रहा है
फिर भी चल रहा है
व्यवस्था को तमाचा मार रहा है
पत्नी का शव नहीं हिन्दूस्तान की गरीबी को ढो रहा है
सबको शर्म सार कर रहा है
और कितना सबूत चाहिए
यह एक ही सबूत काफी है
सबको झकझोरने के लिए

Thursday, 25 August 2016

हिन्दी का सम्मान करें

चौदह सितम्बर ,हिन्दी दिवस
सरकारी आयोजन होगे ,घोषणाएं होगी ,सम्मेलन होगे
शपथ ली जाएगी ,हिन्दी में कार्य करना और बोलना
हिन्दी पखवाडा मनाया जाएगा और न जाने क्या - क्या?
अंग्रेजी आज हम पर हावी हो गई है
हिन्दी क्या सभी भारतीय भाषाओं की यह दुर्दशा
पाठशालाएं बंद हो रही है
हिन्दी सम्पर्क भाषा रह गई है लोगों के लिए
या तो अंग्रेजी नहीं आती या दूसरी भाषा नहीं आती
इसलिए मजबूरी है हिन्दी बोलना
अंग्रेजी आज की आवश्यकता पर उसका मतलब यह तो नहीं कि उसके बिना काम ही न चले
अपनी भाषा बोलने में हीनता और शर्म महसूस हो
आत्मसम्मान को गिरवी रख विकास के नाम पर अपनी भाषा और संस्कृति को लुप्त होने दे
भावी पीढी अंग्रेजी पढे - सीखे और आगे बढे
हर क्षेत्र में अपना परचम फहराए
अंग्रेजी को अपनाए पर साम्राज्ञी न बनाए
हमारे दिलो- दिमाग पर राज न करने दे
उसके बिना हमारा असतित्व ही नहीं
ऐसी धारणा तो बिल्कुल नहीं
कितना इसके मोहपाश में जकडे रहेगे हम
दुकान से लेकर भोजनालय तक
Good morning से शुरू हुआ दिन Good night
पर ही समाप्त
सोना- जागना ,उठना - बैठना ,खाना - पीना सब अंग्रेजी के साथ
नकल तो नकल ही होती है वह महानता के पथ पर तो नहीं पहुंचा सकती
अपनी जननी को बेघरबार कर किसी और का सम्मान
यह तो सरासर अन्याय
अंग्रेजी को मत छोडिए पर हिन्दी को तो याद रखिए
अंग्रेजों ने भारत तो छोडा पर अंग्रेजी को यही छोड गए
उनसे तो कुछ सीखिए
अपनी भाषा का सम्मान और विस्तार कीजिए
उसको बोलने में शर्म नहीं गर्व महसूस करे 

Wednesday, 24 August 2016

त्योहार ,त्याेहार बने - तमाशा नहीं

श्री कृष्ण जन्मोत्सव , जन- जन उल्लासित
ईश्वर पधारे है इस दिन धरती पर
झॉकी सजायी जाएगी
हार- फूलों का अंबार लगाया जाएगा
झूला ,झुलाया जायेगा
दूध- दही और शहद से स्नान कराया जाएगा
अहोभाग्य है मिला दर्शन नन्द लाला का
गोविन्दाओं की टोली भी निकलेगी
नाचते- गाते ,हुडदंग मचाते
पानी ,अबीर ,गुलाल उडाते
दही हंडी बांधी जाएगी ऊँचाई पर.
मटकी तोडने की होड लगेगी
स्पर्धा जीतने पर इनाम भी
बढ- चढकर बोली
नेता से लेकर बच्चा हर कोई शामिल
खुशी के माहौल में सब खुश
पर एक सच यह भी ंंंंं
कोई घायल होगा ,किसी के सर फूटेगे
किसी के हाथ- पैर टूटेगे
कोई जिंदगी भर के लिए अपाहिज
इसका जिम्मेदार कौन ?
हर यशोदा का लाल सलामत रहे
हर जन्मोत्सव शान से मने
किसी की जिंदगी विरान न हो
खुशी का माहौल गम में तबदील न हो
त्योहार ,त्योहार बना रहे ,तमाशा नहीं
और जानलेवा तो कदापि नहीं

कान्हा तो है मॉ यशोदा के Happy Janmashtami

नन्द के घर आंनद भयो ,जय कन्हैया लाल की
यशोदा के घर जन्म ,गोकुल का खुल गया भाग्य
बृज की रज का बढा मान, कंदब और यमुना जी भी इतरा उठे
कालियॉ नाग का नथैया ,कंदब के नीचे अठखेलियॉ
गोपियों संग रास - रचैया
बाल- गोपालों संग गौ चरैया
दधि - माखन खवैया
पीताम्बर मोर - मुकुट धारी ,बंशी की धुन ताने
    राधा संग कन्हैया
कान्हा  की बंशी से महाभारत के सुर्दशन चक्र के कृष्ण
बालक ,युवा ,प्रौढ हर रूप असाधारण
पर यह कन्हैया है किसका??
मॉ यशोदा ,गोपियॉ ,बाल- गोपाल ,सुदामा ,राधा
देवकी - वसुदेव या अर्जुन के सखा
यह कन्हैया है मॉ यशोदा का बाद में किसी और का 
जन्म भले न दिया हो पर पाला तो उसी ने
इतनी ममता लुटा  दी कि सबको पीछे छोड दिया
जताया जग को
मॉ तो बस मॉ है वह अपनी कोख से जन्म दे या न दे
ममता किसी की मोहताज नहीं।

कहॉ हो भगवान

इतनी सुंदर सृष्टि का निर्माण ,दिया मानव को कुदरत
    का उपहार
फिर क्यों हो रहा चारों तरफ हाहाकार
क्यों लोगों में विनाश का फितूर सवार
क्यों बढ रही अंशाति और खत्म हो रहा भाईचारा
मासूमों से हो रहा दूराचार ,बढ रहा हत्या और अत्याचार
इंसानियत हो रही शर्मसार
नैतिकता खत्म हो रही ,बढ रहा व्यापार
रिश्ते- नाते ,दोस्ती में बढ रहा दुराव
क्या अपना क्या पराया ,क्या जाति क्या धर्म
सबका बिगड गया है हाल
बाबाओं का बढता मायाजाल
उसमें जकड रहा आम इंसान
जहॉ देखो वहॉ बवाल ही बवाल
हर बात बन गई जी का जंजाल
दिखता नहीं इस पर कोई उपाय
सब बेबस ,लाचार ,क्या जनता क्या सरकार
ईश्वर का यह वरदान ,मिटाने पर क्यों तुला इंसान
सृष्टि की सुंदरता और मानवता की हत्या
किसका हो रहा भारी पलडा
बंदूक का साया या पेडों की छाया
किसका करें चुनाव
हिंसा ,आंतक ,खून- खराबा
देखकर हो गया लाचार
अब तो शक्ति भी दे रही जवाब
कुछ तो करो भगवान

Monday, 22 August 2016

क्या कसूर है सीरिया के इस मासूम का

सीरिया में गृहयुद्ध छिडा है
बम - बारूद की बौछार हो रही है
कत्लेआम हो रहा है
लाशे बिछाई जा रही है
मानवता बेबस तमाशा देख रही है
बच्चे बम के साये में पल रहे हैं
कुछ देश छोडकर जा रहे हैं
कोई शरण देने को तैयार नहीं
किस धर्म का यह सिद्धांत है
जान लेना और मार- काट मचाना
बच्चों का मासूम बचपन छीना जा रहा है
मॉ- बाप बेबस है अपने नौनिहालों को मरते देख
कोई कुछ नहीं कर पा रहा
मॉ- बाप ही क्यों?
पूरा विश्व तमाशबीन बना हुआ है
किसी के हाथ मदद के लिए नहीं बढ रहे
कोई आगे नहीं आ रहा
पीडा तो सबको हो रही है
सोशल मीडिया पर बच्चे की लाश देख किसकी ऑखें नम न हुई होगी
अब यह दूसरा बच्चा जो धूल- धुसरित और घायल है
उसके घर पर बमबारी हुई है
बच्चा जैसे बेजान हो गया है
ऑखों में ऑसू नहीं
अपने ही हाथों बहता खून पोछ रहा है
ऐसा दर्दनाक दृश्य
जिसे देख किसी भी दरिन्दे का दिल भी पसीज जाय
पर बम बरसाने वालों का दिल नहीं पसीज रहा
क्या मिलनेवाला है
इस रक्तपात से
इतना विकास विश्व कर रहा है
विज्ञान का उपयोग विनाश के लिए किया जा रहा है
बम और बारूद के साये में पूरा विश्व जी रहा है
हर कोई बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है
कितनी लडाईयॉ लडी जाएगी
घर्म और सत्ता के नाम पर
अब तो बंद हो यह सब

Sunday, 21 August 2016

क्यों सिमट रहे हैं लोग

संबंध सिमट रहे हैं
लोग अपनों और समाज से दूर हो रहे हैं
कोई किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहता
परिवार की परिभाषा बदल रही है
हम से मैं  - में विचर रहा है
अहम बढ रहा है ,रिश्ते टूट रहे हैं
संबंध बनावट का चोला पहन रहे हैं
अपनों का साथ बोझ लग रहा है
अपनापन खत्म हो औपचारिकता बन रही है
संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार बढ रहे हैं
सबके साथ रहना ऊबाउ हो रहा है
पडोसी से ज्यादा घुलना- मिलना नहीं
रिश्ते दारों से बचकर रहना
बस मिलना है तो होली और दीवाली
और दिन तो याद आ जाए तो मेहरबानी
शादी - ब्याह सामाजिक न हो हो रहे व्यक्तिगत
दिखावा बढ रहा ,पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे
अपनों से मिलने से अच्छा लगता है
शॉपिग मॉल में दिन काटना अच्छा
त्योहार रिसार्ट में मनाना अजनबियों के साथ
दोस्तों के साथ
पर घरवालों के साथ नहीं
संबंध इतने सिमट रहे कि बीमार होने पर किसको खबर नहीं
यहॉ तक मरने पर भी नहीं
कोई का किसी से वास्ता नहीं
एक दिन शायद ऐसा भी आएगा
जब चार कंधे पर जाने की जगह अकेले जाएगे
और क्रियाकर्म और श्रंद्धाजली देने के लिए
किराए पर लोग मंगवाए जाएगे

बेटी शान तो बेटा सम्मान

बेटियों ने किया कमाल
चारों तरफ हो रही उनकी जय- जयकार
दिलाया सम्मान देश को
रखी आन देश की
यह सब तो ठीक है
पर सीमा पर शहीद हो रहे बेटों को भी कर लो याद
दिन- रात एक कर देने वाला
घर का बोझ उठाने वाला
बहन को रक्षा का वचन देने वाला
पत्नी को सम्मान और आराम के लिए रात- दिन एक
मॉ की इच्छा को पूरी करने वाला
बेटियॉ तो गई ससुराल
बेटा बना कर्णधार
जी तोड मेहनत करना ,घर को चलाना
बच्चों की परवरिश के लिए जान लगा देना
पैरों में ताकत न हो तो भी लडखडाते बोझ उठाना
सबकी आशा- अपेक्षा को पूरी करनेवाला
खुद को मेहनत की भट्टी में झोक देना
दुख पर भी ऑसू को छिपाए रखना
मन ही मन टूटना पर सबको दिलासा देना
सारे परिवार का भार उठाना फिर भी उफ न करना
यह सब भी करता है बेटा
बेटी घर की इज्जत है पर उसको संभालना
जिम्मेदारी है बेटों की
कितने लालों ने अपनी जान गवाई भारत माता की शान में
कुछ ख्याल उनका भी कर लो
बेटी को बढावा दो पर उन पर भी कर लो अभिमान
कुलदीपक है वह .
घर का तारणहार है वह
सृष्टि को चलाने वाला है वह
वह बेटा है ,बहुमूल्य है
करो सम्मान दोनों का
बेटी हो या बेटा
दोनों का सम्मान तभी समाज का विकास

तीज लेकर आया खुशियों की सौगात

आया तीज का त्योहार
लाया खुशियों की सौगात
सुहागिने व्रत करेगी
शिव- पार्वती की आराधना होगी
हाथों पर मेंहदी रचा रही
पैरों में महावर लगा रही
आज शिवजी को मनाना है
अपने सुहाग की सलामती चाहना है
कुवांरियों को भी मनचाहा पति पाने की लालसा
वह भी व्रत करेगी
कोई निराहार तो कोई फलाहार
ब्राहणों की चांदी होगी
सुहाग का सामान उपहार में मिलेगा
क्या अमीर क्या गरीब
सबकी यही कामना
पति सलामत रहे अपना
पेडों पर झूले पडेगे
कजरी गाइ जाएगी
सब सुहागिने इकठ्ठा होगी
भोलेबाबा के दरबार में
गौरीशंकर की कृपा पाने
पति से ही तो पत्नी का मान है
एक उसका साथ मिले तो सारे संसार की परवाह नहीं
एक प्यार और विश्वास पत्नी की दुनियॉ को कर दे आबाद
हर गौरी को भोलेशंकर मिले
हर रिश्ते में प्यार की बौछार हो
पति सलामत तो जग सलामत
गौरीशंकर का मिले वरदान
हर नारी का अमर रहे सुहाग

Saturday, 20 August 2016

राजीव गांधी

आज राजीव गांधी की जयंती है
देश केे सबसे युवा प्रधानमंत्री
पेशे से पायलट
राजनीति का कोई अनुभव नहीं
छोटे भाई संजय की मृत्यु के बाद मॉ इंदिरा के कहने पर राजनीति में आए
राजनीति के नौसिखिए खिलाडी
पर नियति की विडंबना
मॉ इंदिरा की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा हत्या.
राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद सौंपना
अपने से बडे और दिग्गज नेताओं के साथ तालमेल
साथ ही अपने नौजवान साथियों को राजनीति में लाना
नई सोच के साथ राजनीति
भारत को २१ वीं सदी में ले जाने का सपना
आई टी क्रांति यह राजीव की देन है
आज भारत आई टी का हब बनता जा रहा है
कम्प्युटर ,लेपटॉप ,नेट से जुडना
यह उनके प्रयत्नों का फल
मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव को उनके विरोधी
भी पसन्द करते थे
सौभ्य और मुस्कराता चेहरा
शालीन पर धीरे- धीरे राजनीति के माहिर खिलाडी बन गए
विपक्ष में बैठकर भी अपनी क्षमता का लोहा मनवाया
पर भारत की यह विडंबना या दुर्भाग्य कि हमारा यह युवा नेता मौत के घाट उतार दिया गया
चुनाव प्रचार के दौरान मानव बम का इस्तेमाल कर हत्या कर दी गई
आज अगर राजीव होते तो शायद वर्तमान कुछ और होता.

आओ स्कूल चले - थोडा मौज- मस्ती करे ,बचपन की याद ताजा करे

आओ स्कूल चले 

बचपन की याद ताजा करे 

सपनों की दूनियॉ की सैर करे

फिर से पीठ पर बस्ता लाद चले
नींद आने पर भी जबरदस्ती उठना
जल्दी - जल्दी तैयार होना
भागते - भागते बस पकडना
बस छूट जाने का बहाना बना घर वापस आ जाना
मॉ की डॉट खाना
औऱ अगले दिन जल्दी तैयार होना
टिचर की डॉट खाना
गृहकार्य नहीं करना
बीमारी का बहाना बनाना
खुद मॉ की झूठा हस्ताक्षर कर दिखाना
पकडे जाने पर दोनों ओर से पीटा जाना
पहाडे याद करते- करते नाक में दम हो जाना
किसी की पेन्सिल तो किसी का पेन चुराना
सबका खाना छिनकर खाना
अपना खाना डस्टबीन में डालना
बात करने पर पनिशमेन्ट मिलना
खूब हँसना  और खिलखिलाना
च्यूंगम को फुलाना और टिचर आते ही छुपा देना
परीक्षा में नकल करना
शोरगुल करने पर बेंच पर खडे होना
कविता नहीं याद होने पर मुर्गा बनना
दोस्तों से झगडना दूसरे पल एक हो जाना
जानबूझ कर पीछे की बेंच पर बैठना
गणित के टिचर से बच कर रहना
छूटने पर धमाल मचाते हुए सीढियों से उतरना
बस आने पर बस न पकडना
झुंड बना कर खडे रहना
भेल और समोसे चटखारे ले  - लेकर खाना
खो- खो और कबड्डी खेलना
राष्ट्र गान और प्राथना के समय कनखियों से देखना
टिचर से नजर चुराकर इशारे करना
गाइड और पी टी के पीरियड का इंतजार करना
सिलाई और चित्रकला कभी भी करना
बारीश में गढ्डों में पैर डालते चलना
पढना छोड सब अच्छा लगना
कम अंक आने पर डाट खाना
सब कुछ बंद करने की धमकी पाना
थोडे दिन याद रखना
फिर भूल वही मस्ती करना
अब तो बस यह बन गई है यादे
चलो फिर से स्कूल चले
थोडा मौज- मस्ती करे  

आओ त्योहार मनाए - ढम ढमा ढम

ढम ढमा ढम बजने दो 
ढोल- तासो का शोर होने दो
बम ,फटाके ,फूलझडियॉ फूटने दो
शोर- शराबा होने दो
कानफोडू लाउडस्पीकर बजने दो
कोई फर्क नहीं पडता
इससे किसको होती है तकलीफ
बीमार हो या बूढा या फिर छोटा बच्चा
बच्चे पढे या न पढे हम तो त्योहार मनाएगे
कोई मरता है तो मरे हम तो बाजे बजाएगे
हल्ला - मस्ती ,धमाल करेंगे
कानून की धज्जियॉ उडाएगे
पुलिस की तो कुछ बात न हम मानेगे
हम तो स्वतंत्र देश के नागरिक है
जो चाहे सो करेंगे
त्योहार मनाना और वह भी इतनी धूमधाम से
हमारा कर्तव्य बनता है
शराब पीकर नाचना और हुडदंग मचाना तो बनता है
त्योहार तो रोज- रोज नहीं आते
भगवान के नाम पर चंदा वसुलना
फिर अपना पेट और अपनी जेब भरना
यह मौका कैसे छोडे
काम करने की क्या जरूरत
साल भर का इंतजाम तो हो जाता है
भगवान आते हैं और यह सब देकर जाते है
हमारा इंतजाम करके जाते हैं
और क्या चाहिए??
पेट भरे ,मौज- मस्ती करे
और जोरदार ढंग से त्योहार मनाए

Friday, 19 August 2016

कितना बदल गया इंसान

स्त्रियों पर कर रहा अत्याचार
भाई- भाई का हो गया दुश्मन
बूढे मॉ - बाप को कर रहा बेघर
बेटी को मार रहा गर्भ में.
चोरी- डकैती से हो रहा मालामाल
ईमानदारी को कर रहा दरकिनार
स्वार्थ में लिपट रहा.
हवस में अंधा हो रहा
रिश्ते को पैसों से तोल रहा
अपने सिवाय किसी को कुछ नहीं समझना
पैसों के पीछे अंधाधुंध भागना
हत्या को खेल समझना
बंदूक - गोली बाए हाथ का खेल
बिना सोचे- समझे इस्तेमाल करना
आंतक को फैलाना..
ईश्वर के नाम पर अलगाव करवाना
मनुष्य को मनुष्य न समझना.
कम समझेगा यह
कब इंसानियत जागेगी
पशुता खत्म होगी..
इंसान ,इंसान बनेगा ,हैवान नहीं

यह हमारी प्यारी हिन्दी

डंडी और बिंदी ,उसके बिना नहीं हिन्दी
बडी और छोटी मात्राओं का खेल खेलती
मेरी मॉ को कब मरी मॉ बना दे यह डंडी
मैं को कब मे मे कर बुलवा दे बकरी की भॉति
ड और ढ का फर्क
कब पढा से पडा बना गिरा दे
दिया और दीया , दीन और दिन का खेल रचा दे
क ख ग घ से अ आ इ ई तक के खेल निराले
बोलने पर तो बात ही मत पूछो
मद्रासी के मुँह से बोले तो खाना का काना हो जाय
वृक्ष का मतलब ही बदल देता ृ निकलकर
र की महिमा न्यारी
ऊपर ,नीचे और जोडाक्षर
त को भी त्र कर देता र
कहते हैं बहुत सरल है हिन्दी
पर इसकी चाल है उल्टी
नहीं पकड में आती है ,बच्चों को हो जाती परेशानी
पेपर लिखते समय खुश हो जाते
पर अंकों को देख मुँह लटक जाते
फिर भी लगती सरल और सबको प्यारी
कुछ भी बोलो ,कैसे भी बोलो
सबको समझ में आ जाती
पूरी नहीं तो टूटी - फूटी ही सही
दिलों को जोडती ,प्यार बॉटती
जब मिले अजनबी और कुछ समझ न आए
तब साथ निभाती हिन्दी
सबको अपने में समाती
ऐसी हमारी प्यारी हिन्दी
जैसे भारत माता के माथे पर हो बिन्दी
जय हिन्दी - जय हिन्दूस्तान

ताजी - ताजी सुर्खियॉ

हर चीज हो ताजा
खबर हो या खाना
ताजे का मजा ही कुछ और
बासी तो बासी , ले आए उबासी
ठंडी चाय और बासी अखबार
कर देते दिन को खराब
नींद ,आलस लाता ,दिन को बेकार बनाता
ताजा और गर्म ,स्वाद को बना देते लाजवाब
ताजी खबरे ही ध्यान में रहती
बाकी तो अतीत का हिस्सा बन जाती
जब तक ताजी तब तक रोचक
फिर भूला दी जाती है
क्या हुआ ,कहॉ हुआ ,कैसे हुआ
सोचने और याद करने की फुर्सत किसे हैं
सोचने से पहले ही दूसरी खबर आ जाती
वहॉ से ध्यान हटा ,यहॉ पर लगा
जबसे यह चक्र चला ,सबको उलझाते चला
हर नया दिन ,नयी घटना
किसका विचार करें ,किसको छोडे
समय कहॉ है किसके पास???
उस पर भी ब्रेकिग न्यूज.
ताजी - ताजी सुर्खियों के साथ
बस सुनो और आगे बढो

प्रदूषण का बढता साया

प्रदूषण ,प्रदूषण ,प्रदूषण - हर जगह प्रदूषण
हवा में पानी में ध्वनि में ,प्रदूषण का बढता मायाजाल
वातावरण में शैतान सा पसरता
सागर ,नदी या ताल- तलैया
गॉव ,नगर या महानगर
सडक हो या खेत - खलिहान
सब्जी ,पानी ,हवा सब जहरीली
श्वास लेने में कठिनाई
ईमारतों का गगन चूमना
जीवन शैली पर प्रभाव
बीमारियों से ग्रसित होना
दूध - दही तो मिलावटी
कुछ  भी शुद्ध नहीं
      और.  चरित्र
सबसे ज्यादा प्रदूषित
नैतिकता पुकार रही ,दुहाई दे रही
पर उसकी कौन सुनता है
अपनी जेब भरना है कैसे भी ,किसी भी कीमत पर
विकास भले लोगों के विनाश से हो
हम सलामत तो सब सलामत
दुनियॉ जाए भाड में ,हमें क्या पडी....

मौत का धागा- चाइनीज मांजा

पतंग उडाना यह प्राचीन काल से चला आ रहा है
बडे- बडे लोगों का पतंग उडाना शौक रहा है पतंगबाजी
लेकिन आज किस मोड पर पहुँच गई है.
हर साल न जाने कितने लोगों की जान जाती है
न जाने कितने घायल होते हैं.
पक्षियों की जान तो और आफत में होती है
     स्वतंत्रता दिवस पर एक बच्ची सहित तीन लोगों की जान घागे के कारण चली गई
यह कोई इस साल नहीं हर साल होता आ रहा है
त्योहार और उत्सव तो ठीक है पर जिंदगी के साथ खिलवाड ठीक नहीं
चाइनीज मांजे को पूरी तरह बंद कर देना चाहिए.
क्योंकि यह जाने इसी कारण गई है
किसी की मौज - मस्ती किसी के मातम का कारण न बने
हर जिंदगी अमूल्य है
त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जाय

आज साक्षी कल कोई और बेटी

अब तो हमारी शक्ति पहचानो
हमें इस दुनियॉ में आने दो
हमें जन्म दो ,अधिकार दो ,सम्मान दो,अवसर दो
फिर देखो कैसे काया पलट होता है समाज औ देश का
कितनी परीक्षा ,कितना दबाना - कुचलना ,कितनी योग्यता का हनन
हम तो आधी आबादी है देश की
जब- जब मौका मिला तो वह रंग दिखाया कि दुनियॉ दंग रह गई
झॉसी की रानी बनी तो ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लिया
इंदिरा बन दुनियॉ के नक्शे को बदल. दिया और बांगला देश बना दिया
लता मंगेशकर बन गायन में एकाधिकार स्थापित किया
मिस वर्ल्ड ,मिस यूनिवर्स बन सौंर्दय का परचम फहराया
राष्र्टपति ,स्पीकर ,विदेशमंत्री के पद को नवाजा
उधोग- धंधे के क्षेत्र में भी बाजी मार रहे हैं
दौड में सबको पीछे छोड पी टी उषा बनी ,मुक्केबाजी में मैरी कॉम बनी
अंतरिक्ष पर भी पहुँच गई सुनीता विलियम बन
और आज सबको पटखनी दी कुश्ती में
जब ओलंपिक में देश पदक के लिए आस लगाए बैठा है तो वह मैं ही आशा पूरी करने वाली
वह भी उस हरियाणा की बेटी जहॉ बेटी को आने ही नहीं दिया जाता
रक्षाबंधन पर देश की बेटी ने उम्मीद जगाई है
आशा है सभी देशवासी भाई हर बेटी को उसका अरमान पूरा करने का अवसर देगे
आज साक्षी मलिक तो कल कोई और बेटी साक्ष्य करेगी देश के गर्व को

Wednesday, 17 August 2016

सलामत रहे मेरा भैया

अनमोल धागा यह प्रेम का
बांध रखा है सबको अपनी डोर में
साल भर लडे- झगडे पर रक्षा बंधन का नाम सुनते ही चेहरे पर मुस्कराहट
हर भैया से बहना की आस
उपहार के साथ प्रेम की सौगात
जिंदगी भर बंधे रहने की कामना
भाई की रक्षा की कामना
ईश्वर के इस अमूल्य वरदान की सुरक्षा
खून का रिश्ता
ऊपर से मिला हुआ
न इसको तोड सकते हैं न खत्म कर सकते हैं

भय्या हो मुद्दैया सो ही दहिन बाह
निबियॉ हो करूआइन सो ही शीतल छाह

यानि भाई कितना भी विरोधी हो तो दाहिना हाथ है
नीम कितनी भी कडवी हो तो भी शीतल छाह देती है 

इतिहास गवाह है रानी कर्मवती का हुमायूँ को राखी भेजना और हुमायूँ का बहन को निराश न करना
राजा बलि से लक्षमी द्वारा  द्वारपाल विष्णु को मांगना
रावण द्वारा अपनी बहन सूपर्णखा के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण और कुल का नाश
जगन्नाथ जी में बलराम - कृष्ण के साथ बहन सुभद्रा
यानि सही हो या गलत
कोई साथ दे या न दे
पर भाई पर ऑख मूंद कर विश्वास
कोई भी कैसी भी बहन हो पर हर बहन के दिल से भाई के लिए दुआ ही निकलेगी
पुराने लोक गीतों में भाई को बहन कहती है

छुटी - छुटी गगरी भरैये ,भौजी क लुगरी धुअएं
खिरकी के रस्ते अइहै ,हमहु भैया भेटब
    यानि भाई गरीब है तब भी आना
भाभी की पुरानी साडी को लाना और खिडकी से देना
मेरा ससुराल में मान रहेगा कि मेरा भाई आया हैऔर कुछ लाया है
भाई का दिया हुआ उपहार अनमोल है
क्योंकि भाई ही अनमोल है
सलामत रहे मेरा भैया
जुग- जुग जीए मेरा भैया