एक वक्त था
हमारी आवाज़ सूरीली लगती थी
हमारी नाजायज मांग भी जायज लगती थी
हमारी जिद पर हँसी आती थी
हमारे हाथ का खाना स्वादिष्ट लगता था
हर पेहरावे में हम खूबसूरत लगते थे
हमारा साथ प्यारा लगता था
आज वह बात नहीं
हम तो वही है
तुम बदल गए
हमसे नाता तोड़ गए
हमें मझधार में छोड़ गये
हमें अकेला कर गए
आज तो मुड़कर देखना भी गंवारा नहीं
हमारी आवाज़ सुनना भी पसंद नहीं
हमारे गुरुर को चूर चूर
हमारे प्यार को नकार
तुम खुश कैसे रह पाओगे
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