Sunday, 22 December 2024

साड़ी दिवस

तुमको पहन मैं इतरा उठती हूँ 
मेरा सौंदर्य खिल उठता है
सबकी अपेक्षा यही रहती
साड़ी ही में तो औरत अच्छी लगती है
कभी-कभार लगता है
मेरी प्रशंसा मुझे इससे बांधने के लिए कई गयी है
न तेज चल सकती हूँ 
न भाग सकती हूँ 
न तैर सकती हूँ 
न स्पोर्ट्स में खेल सकती हूँ 
हर जगह के लिए अलग पोशाक 
पुरुष की भी पोशाक बदली
वह धोती से पैंट में आया
वह फिर भी वह ही रहा
नारी के प्रति देखने का नजरिया वैसा ही
साड़ी ने उसे देवी बना दिया
साड़ी से नारी की यात्रा अब आगे निकल गई है 
साड़ी भारतीय संस्कृति में है 
उसकी विरासत भी कह लें
साड़ी से परहेज नहीं 
यह परिधान अपनी इच्छा से हो 
थोपा हुआ नहीं
तब ही यह जीवित रहेगी
इसकी गरिमा रहेगी 
समय अनुसार बदलाव अवश्य भावी है 
साड़ी का जोड़ नहीं यह सत्य
पहना जाए अपनी खुशी से 
साड़ी दिवस मना कर नहीं 


बंधन

न तुम खुश 
न मैं खुश 
फिर भी है साथ
सफर चला 
चलता रहा
चल रहा है 
ऐसा कैसे 
कुछ बात तो होगी
तुममें भी
हममें भी 
कोई मजबूत डोर तो है
निभाने में कोई कसर न छोड़ी 
कोई कम कोई ज्यादा
पहल तो रही
पूरा तो कोई नहीं बदला
बस थोड़ा तुम भी बदले
थोड़ा मैं भी बदली 
यहीं तो वह बात रहीं 
एक प्यार का धागा था 
जो जोड़े रखा
न तुमने खींच कर तोड़ा 
न हमने तुमने दिया
वह मजबूत होता गया
अब तो टूटने की गुंजाइश ही नहीं 
हां शिकवा - शिकायत तो है और रहेगी 
वह तो खत्म होने से रही
बस साथ- साथ चलो
थोड़ा-बहुत आगे - पीछे
चल जाएगा 
जिंदगी कट जाएगी 

प्रेम

प्रेम की परिभाषा 
वह इसकी मोहताज नहीं
न इसे प्रचार की जरूरत न विज्ञापन की
महसूस कर लो 
अनमोल है बहुत
देने वाला देकर ही खुश
बदले में भले कुछ ना मिले 
हां एक बात है 
प्रेम के बदले प्रेम तो चाहिए 

Saturday, 21 December 2024

मत तोड़ ऐसे

मैंने तुमको हर बात बताई 
कुछ नहीं छुपाया
विश्वास किया अपने से ज्यादा
यह भूल गया 
सब समय के अनुसार बदल जाता है
तुम न बदलोगे 
यह यकीन भी था जेहन में
दिल खोलकर रखा था कभी 
आज थोड़ा-बहुत दूरी क्या बनी
तुमने तो उसका तमाशा बना दिया
सबके सामने नुमाइश करते फिर रहे हो 
अरे थोड़ा तो रुक जाते 
सोच लेते 
दूरी फिर नजदीकी में बदल जाती 
लेकिन तुमने तो कोई कसर न छोड़ी 
अब तो दिल क्या 
ऑख भी मिलने से रही 
हाथ क्या पकड़ेंगे 
देखकर पीठ फेर लेंगे
जिस मुख पर कभी मुस्कान आ जाती थी 
तुम्हारा नाम सुन
आज तो वह नाम भी मुख से नहीं निकलता 
सही है 
तोड़ा तो जुड़ता नहीं
जुड़ा तो गांठ पड़ जाना है