Wednesday, 20 August 2025

आज नहीं तो कल

सब कुछ खत्म नहीं होता 
कुछ न कुछ बचा ही रह जाता है 
यही बचा तो जीवन में फिर खड़ा होना सिखाता है 
मझधार से नैया किनारे भी पहुंचती है 
हमेशा डूब ही नहीं जाते 
तैर कर बाहर भी आ जाते हैं 
ईश्वर की मर्जी हुई 
तब क्या कहने 
लहरें ही किनारे पर ला फेंक देंगी 
बस हिम्मत रखना 
समय बदलता जरूर है 
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो परसों 

Tuesday, 19 August 2025

वक्त

खुशनसीब हैं वे 
जिनको जिंदगी बनी - बनाई मिलती है 
हमारा शुमार ऐसे लोगों में नहीं
यहाँ तो पग - पग पर अड़चनें 
उसमें से जितना हुआ उतना बनाया 
तभी तो समय लगा
सबको सब कुछ नहीं मिलता 
वक्त बुरा होता है 
आदमी नहीं 
वक्त जो न कराए वह कम 

मैं अकेला रह गया

देखते - देखते सब उड़ गए 
वृक्ष अकेला खड़ा देखता रह गया 
सबने अपना आशियाना बना लिया 
उस आशियाना को छोड़ चले 
जहाँ कभी इकठ्ठा होकर रहते थे 
हंसते थे खिलखिलाते थे 
एक दूसरे के करीब रहते थे 
लड़ते - झगड़ते भी थे 
मान - मनुहार भी करते थे 
मैं मन ही मन मुस्कराता था 
देखकर आनंदित होता था 
उनका भविष्य का सोचता था 
वे कब आत्मनिर्भर बनेगे 
अपना जीवन बनाएंगे 
उड़ान भी भरेंगे 
आखिर उन्होंने उड़ान भरी 
अपना आशियाना भी बनाया  
मैं भी तो यही चाहता था 
अब फिर दुखी क्यों हूँ 
यह तो होना ही था 
संसार का नियम है 
यहाँ स्थायी कुछ भी नहीं है 
यही बात तो संबंधों पर भी लागू होता है 
अकेलापन खलता है 
खोखला भी तो हो रहा हूँ 
कब जाने गिर पड़ू 
आग में जल राख बन जाऊ 
अकेला ही आया 
अकेला ही जाऊंगा 
अफसोस क्यों करू 
जी भर जीया 
मन भर मरु 
जहाँ से आया 
वहीं फिर से कूच करु 

Monday, 18 August 2025

याद रखना

कितना भी उड़ान भर लो 
कितनी भी उंचाई पर पहुँच जाओ 
कितनी भी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ जाओ 
अपने अतीत को कभी न भूलना 
अपने संघर्ष को हमेशा याद रखना 
समय- समय पर पीछे मुड़कर देख लेना 
ताकि मन में अभिमान न हो 
अपने पर गुरुर जरूर हो 
अपनी काबिलियत पर नाज हो 
ऐसी विषमता से हासिल हुआ जो 
उस उपलब्धि को संभाल कर रखना 
उन दिनों को उन लोगों को भी याद रखना 
जो आपके इस मुकाम में आपके साथ रहे हो 
ईश्वर को धन्यवाद देना 
तुम काबिल होगे 
उसकी कृपा के बिना कुछ नहीं होता 
नजरे आसमान पर 
पैर जमीन पर