Thursday, 2 January 2025

एक जिंदगी से मुलाकात

कल एक जिंदगी से सामना हुआ 
वह गाड़ी चला रहा था साथ ही अपनी गाथा सुना रहा था
बातचीत तो यू ही समय काटने को शुरु हुई थी
पर यहाँ तो जिंदगी का फसाना बया हो रहा था
नौजवान कोई बीस वर्ष का जिम्मेदार जैसे पचास का
पिता नहीं रहें 
मां और तीन छोटे भाई- बहन 
गांव से आया शहर कमाने 
मां की हालत देखी नहीं जाती थी 
उसको सुख जो देना था तो कुछ कुर्बानी तो देनी थी 
पढ़ाई छोड़कर राह पकड़ ली काम की 
खाना नहीं खाया लेकिन मां को कहना कि पेट भर खाया 
ऑंखों में आंसू पर मुख पर हंसी लाकर बात करना 
बड़ी ईमारत के सामने खड़े हो कहना
मैं यहां काम करता हूँ 
मां ठहरी अंजान 
शहर में बेटे के मजे हैं
यह नहीं पता यह किसी सजा से कम नहीं
सर पर छत नहीं 
रोटी का ठिकान नहीं
काम की तो कमी नहीं
रहने को फुटपाथ 
कहीं न कहीं तो इंतजाम हो ही जाएगा 
पैसे कमाकर भेजेगा तो सबका जीवन सुधर जाएगा 
मेहनत करने का दम रखता 
आखिर बात खत्म 
गंतव्य जो आ गया था
गाड़ी से उतरते सोच रहे थी 
इसने मुझे तो पहुंच दिया
यह अपनी मंजिल पर पहुंचेगा या नहीं 

Wednesday, 1 January 2025

यही होता है

उम्र की दीवार की एक ईट और गिर पड़ी
एक साल और आगे बढ़ गया
साल दर साल यही हो रहा
उम्र की दहलीज पर हम खड़े देखते रहें
जश्न मनाते रहे 
किसी के जाने का 
किसी के आने का 
वक्त न थमा न थमेगा 
जब तक हमारे साथ 
तब तक यह जारी रहेगा 

कहानी भगवान- मनुष्य की

#भक्ति_कथा 
                   🍀 भगवान की दुविधा 🍀

एक बार भगवान दुविधा में पड़ गए! कि कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता है, तब मेरे पास भागा-भागा आता है और मुझे सिर्फ अपनी परेशानियां बताने लगता है,मेरे पास आकर कभी भी अपने सुख या अपनी संतुष्टि की बात नहीं करता मेरे से कुछ न कुछ मांगने लगता है!

अंतत:  भगवान ने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले- कि हे देवो, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं। कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता हैं, जबकी मै उन्हे उसके कर्मानुसार सब कुछ दे रहा हूँ। फिर भी थोड़े से कष्ट मे ही मेरे पास आ जाता हैं। जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही  शास्वत स्वरूप में रह कर साधना  कर सकता हूं। आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं, जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके।

प्रभु के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट करने शुरू किए। गणेश जी बोले- आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं। भगवान ने कहा- यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में हैं। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा। इंद्रदेव ने सलाह दी- कि  आप किसी महासागर में चले जाएं। वरुण देव बोले- आप अंतरिक्ष में चले जाइए।

भगवान ने कहा- एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा। भगवान निराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे- “क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं हैं, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं"।

अंत में सूर्य देव बोले- प्रभु! आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं! मनुष्य अनेक स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा, क्योंकि मनुष्य बाहर की प्रकृति की तरफ को देखता है दूसरों की तरफ को देखता है खुद के हृदय के अंदर कभी झांक कर नहीं देखता इसलिए वह यहाँ आपको कदापि तलाश नहीं करेगा। 

करोड़ों में कोई एक जो आपको अपने ह्रदय में  तलाश करेगा  वह आपसे शिकायत करने लायक नहीं रहेगा  क्योंकि उसकी बाहरी इच्छा शक्ति खत्म हो चुकी होगी ईश्वर को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया और भगवान हमेशा के लिए मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए।

उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ईश्वर को मन्दिर, पर्वत पहाड़ कंदरा गुफा ऊपर, नीचे, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहें हैं।
परंतु मनुष्य कभी भी अपने भीतर ईश्वर को ढूंढने की कोशिश नहीं करता है  
इसलिए मनुष्य "हृदय रूपी मन्दिर" में बैठे हुए ईश्वर को नहीं देख पाता और ईश्वर को पाने के चक्कर में दर-दर घूमता है पर अपने  ह्रदय के दरवाजे को खोल कर नहीं देख पाता..!!

*कहानी से सीखः-*
“हृदय रूपी मंदिर” में बैठे हुए ईश्वर को देखने के लिए “मन रूपी द्वार” का बंद होना अति आवश्यक है, क्योंकि “मन रूपी द्वार” संसार की तरफ़ खुला हुआ है और “हृदय रूपी मंदिर” की ओर बंद है।

वक्त की नियामत

वक्त आता है
वक्त जाता है
हमें बहुत कुछ सिखाता है
हर बार कुछ नया कर जाता है
हर बार कुछ सरप्राइज दे जाता है
हम सोचते कुछ होता कुछ 
हम एक समय उसको कोसते 
बाद में उसी के लिए अच्छा भी कहते 
वक्त हमारी कहाँ सुनता
वह तो अपनी ही करता जाता 
वक्त हमारे अनुसार नहीं चलता
वह अपनी इच्छानुसार हमें चलाता 
जो करता है अच्छा ही करता
हम नहीं जानते हमारा भला किसमें
वक्त को भलीभाँति पता 
वक्त कभी न रुकता न ठहरता 
उसका पहिया चलता ही रहता 
उसके साथ चल दो 
न चल सके तो वह आगे चल ही देगा 
वक्त नहीं किसी का सगा 
जिसने उसका किया सम्मान 
उसको ही उसने अपनी नियामत बख्शा

HAPPY NEW YEAR

कुछ ख्वाब कुछ ख्वाहिश कुछ उम्मीद 
लेकर साथ आए हो तुम 
नववर्ष में नया कुछ हो
मन प्रफुल्लित और उल्लसित हो 
प्रभात की किरण से कण - कण प्रकाशित हो 
संबंधों में मधुरता , दिल में विश्वास हो 
हमारे साथ- साथ चलना 
हम पर आशिर्वाद बनाए रखना 
अपनों के संग हंसे - खिलखिलाएं 
जीवन का सुमधुर संगीत सुनाए 
ज्यादा नहीं बस मन की खुशी मिले 
बदलाव तो अवश्य भांवि है
जीवन का यही तो मर्म है 
अपने न बदले 
उनका स्नेह कायम रहे
ईश्वर का आशिर्वाद रहें 
जिंदगी गुजरती जाएंगी 
तुम तो आओगे और जाओगे 
अपनी यादें छोड़ जाओगे 
हमारी झोली में भी कुछ खुशियां भर जाओगे 
हम जब तक रहेगें
तब तक तुम्हें याद करेंगे 
हर वर्ष की अपनी देन अपनी विशिष्टता 
तुम क्या दोगे 
हम भी देखेंगे 
अभी तो नव आशा संचार कर रही 
अपने नववर्ष का मन से स्वागत कर रही 
दिल है कि मानता नहीं
झूम - झूम कह रहा 
      HAPPY NEW YEAR