हम खुश हुए
आव भगत की
अतिथि धर्म है
घर में आए का स्वागत
पैसे वाले हैं
बात करते-करते पूछ बैठे
कितनी आमदनी है
क्या करोगे पैसे का
यह वह शख्स है जो
पैसे वाला है
संपत्ति शाली है
हम तो बस जोड़ जोड़ गृहस्थी चलाने वाले
अब क्या कहें इनसे
अतिथि जो थे
कुछ कह देंगे तो बुरा मान जाएंगे
पर कहना था
यह पहली बार नहीं था
पूछा उनसे
आप बताओ क्या करोगे
इतना पैसा है उसका
पैदायशी अमीर
तब इधर-उधर की बातें करने लगे
लोगों की आदत होती है
दूसरों की कमाई पूछने की
भले अपने पैसों में खेल रहे हो
नीचा दिखाना है या ताना है
यह समझ नहीं आता
अपनी छोड़ दूसरों की पड़ी
पैसे से तौलते हैं लोगों को
भले एक धेला खर्च न करें किसी पर
किसी के घर जाएं तो भी खाली हाथ
अरे आप गए हैं मिलने
प्यार और अपने पन का आदान-प्रदान करने
अगर आप से बात की है
सुख - दुख की बात करें
मत कुछ करें सुन ही ले
घाव पर नमक न छिड़के
अपनी हैसियत को मत दिखाएं
कहा गया है ना
किसी से उसकी उम्र और कमाई नहीं पूछनी न बतानी
प्रेम से बतियाएं और दिल में जगह बनाएं