मेरी माँ तो कुछ अलग ही मिट्टी की बनी
चट्टान को भी तोड़ने की ताकत रखने वाली
कर्मठता का जीता जागता प्रमाण
हार न मानने वाली न मानने देने वाली
ईश्वर पर अटूट श्रद्धा
न लडना न झगड़ना
अपने काम से काम रखना
दूसरों की भलाई को तत्पर रहना
उसका सबसे बडा अस्त्र और शस्त्र
उसके ऑसू और चुप्पी
बिना कहे भी सब बयान कर जाते
कभी न किसी का बुरा चाहा न हमें सिखाया
न कभी किसी को कोसा न किसी से तुलना की
लाख अभाव हो हाथ किसी के आगे नहीं फैलाया
अपनी चादर से बाहर न पैर फैलाया न हमें फैलाने दिया
हमारे हर गुस्से और तनाव को झेला
मुख से तो कुछ नहीं कहा पर ढाढ़स हमेशा बंधाया
अन्नपूर्णा का साक्षात स्वरूप
उसके घर से कोई कभी खाली पेट नहीं गया
हर रिश्ता निभाने वाली
सबको प्यार बांटने वाली
मेरे बाबूजी जैसे औघड़ और भोले को संभालने वाली
निस्वार्थ भाव और नए जमाने के साथ चलने वाली
क ख ग घ से A B C D सीखने वाली
गांधी और सुभाष चन्द्र बोस को देखने वाली
भगवान बाद में याद आए पहले माँ याद आई
हमने माँ से मांगा
माँ ने हमारे लिए भगवान से मांगा
पता है कि भगवान हमारी सुने या न सुने
अपनी इस भक्त की जरूर सुनेंगे
वह उद्धव जैसी ज्ञानी नहीं पर गोपी सी भक्ति वाली
हमारे घर में एक गीता का ज्ञानी और दूसरी भक्ति रस में डूबी
जीत हमेशा भक्ति की हुई गीता के ज्ञानी को कई बार उससे हार मानते देखा
गाँव से लेकर महानगर तक का सफर
उसके बावजूद परम्परा का पालन
माँ बहुत पढी लिखी नहीं
हमसे ज्यादा मार्डन विचारधारा की
साधारण औरत नहीं जो गहनों और कपड़ों को तवज्जों दे
उसने शिक्षा को तवज्जों दिया
स्वतंत्रता सेनानी की बेटी और मास्टर साहब की बहन जो थी
बडे घर की बेटी का दिल हमेशा बडा ही रहा
उसने हमारे घर को इस तरह संभाला कि वह बडा हो गया
बिना किसी की सहायता के
अपने दम पर और घर में रहकर
अपने आप पर हंसना आता है
लोग मेरी प्रशंसा जब करते हैं
तब लगता है मैंने तो कुछ किया ही नहीं
आरामतलब और बिना महत्वकांक्षा के उसने मुझे बना दिया
माँ से ही जन्म
माँ में ही जीवन
जीवन का आखिरी पड़ाव है पर जज्बा कम नहीं
उस जैसी कर्मठ महिला को बिस्तर पर लेटा देखना बर्दाश्त नहीं होता
नियति है कुछ कर नहीं सकते
माँ के लिए तो शब्द ही कम है
समंदर की गहराई भी उसके प्यार के आगे कम है
आज और हमेशा
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं न होगा न है ।