अतीत के पन्ने पलटते हुए
हर साल की एक नोटबुक
जिसमें तीन सौ पैंसठ दिन
खत्म होती है
रख दी जाती है
मन के किसी कोने में
कुछ अच्छी कुछ बुरी
कुछ मिठास वाली तो कुछ कडुवी
कुछ ऑख में पानी ला देती है
कुछ होठों पर मुस्कान
कुछ दिल के बहुत करीब
कुछ से तो बहुत दुराव
कुछ अपने कुछ बेगाने
कुछ मित्र कुछ शत्रु
कुछ कही कुछ अनकही
सामान्य सी तो बहुत सी
वह तो आती ही नहीं
कुछ भूला भी दी है
कितना याद रहेगा
यह उस बच्चे की तरह
या तो बहुत शैतान या बहुत होशियार
कक्षा का वही बच्चा और उसका नाम याद रहता है
जीवन का हर पन्ना अनगिनत घटनाओं से भरा पडा
आज इस नोटबुक का आखिरी पन्ना
कल फिर से एक नयी नोटबुक बनानी है
नयी बातें लिखी जाएंगी
नोटबुक बदल जाएंगी
हम वहीं रहेंगे
अगली कक्षा के जैसे अगले वर्ष में पदार्पण कर जाएंगे
खुशी खुशी सब कुछ नया नया
नये कपडे नये जूते नये बस्ते के जैसे
नये विचार नया संकल्प नयी संकल्पना
जम कर तैयारी करेंगे
परीक्षा देने और पास होने के लिए
साल के अंत में रिजल्ट
क्या पाया क्या खोया
लेखा जोखा करते
अपनी उपलब्धियाँ गिनाये
अपनी कमजोरी और गलती स्वीकार करते
कुछ भाग्य और कर्म को साक्षी दार करते
फिर आगे बढते
यह क्रम जीवनपर्यन्त ।