भूख तो सबको लगती है
अच्छा खाना भी खाने का मन करता है
पर यह कितनों के नसीब में
अन्न उगाने वाला किसान भूखा
खाना बनाने वाली अपने ही घर में भूखी
बढने वाले बच्चे भी
बचा खुचा फेंका भी कुछ के नसीब
भोजन भी भाग्य से
कभी-कभी जेब भरी होने पर भी भूखा
कुछ सूखी रोटी से पेट भरे
कुछ का लजीज पकवानों से भी नहीं
कुछ को आसानी से मयस्सर
कुछ को कडी मशक्कत के बाद भी नहीं
कुछ पशु जिनकी किस्मत में उनका मनपसंद
कुछ को पशुओं जैसा भी नहीं
यह भोजन है भाई
इसका आस्वाद तो सब लेना चाहते हैं
पर कहा जाता है न
भोजन भी भाग्य से नसीब होता है
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