Tuesday, 12 November 2019

ऐ प्यारे मानव

फूल हमेशा हंसता और मुस्कराता
यह उसका गुण और स्वभाव
दूर से ही देख मन प्रसन्न प्रफुल्लित
पास जाओ तो
अपनी सुगंध से मन को सराबोर
छोटा सा नाजुक सा
पर देता है संदेश बडा
ऐसे रहे कि
आपको देख
किसी के चेहरे पर मुस्कान आ सके
सब आपसे मिलना चाहे
दूर रहना नहीं
मीठी वाणी और अपने गुणों की सुगंध फैलाते रहे
निंदा ,चुगलखोरी और दूसरों के जीवन में ताक-झांक
इन सबसे दूर रहे
फूल लाल ,गुलाबी ,बैंगनी ,सफेद अनेक रंगों के
सब रंग लाजवाब
स्वयं कांटो की ताज पर संवार
पर दूसरों को खुशियाँ प्रदान करना
छोटी सी जिंदगी है
तब भी प्रसन्नचित्त
नाजुक और कोमल
तब भी
धूप ,आंधी तूफान को झेलता
हवा कितना भी जोर से झुलाए
पर अडिग रहता है
झकझोर और थपेडों को सह लेता है
ओस की बूंदों को भी शरण देता है
ताकि वह भी झिलमिलाए मोती जैसे
ताप सहकर भी
दूसरों को शीतल करना
यह तो कोई उससे सीखे
जिंदगी जितनी भी मिली
तरोताजा ,जिंदादिल रहना
अपनी भीनी भीनी खुशबू से जग को महकाना
यही तो निराला अंदाज है उसका
तभी तो वह सबको भाता
जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान का साथ निभाता
हर समारोह की रौनक बनता
नकली सजावट कितनी भी हो
पर ताजे फूल की तो बात निराली
सब पर अपनी छाप छोड़ता
सबके दिल में जगह बनाता
तभी तो यह है हर दिल अजीज
न धर्म का बंधन
न उम्र की सीमा
न लिंग भेद
विराट विश्व की पसंद
सब विवाद से ऊपर उठ
देता है संदेश बडा
तुम भी तो मेरे जैसे हो जाओ
ऐ प्यारे मानव , ऐ प्यारे मानव

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