जश्न का मौका है
पर मनाना नहीं है
संयत बरतना है
प्रधानमंत्री जी ने भी अपील की है
हिंदुओं ने भी इस बात का ध्यान रखा है
नहीं पटाखे नहीं मिठाई
बस शांत और प्रसन्न चित्त
एकाध छिटपुट घटनाओं को छोड़
साधु महात्मा भी कोई बयान नहीं दे रहे
एक समुदाय के लिए खुशी का मौका
मन की मुराद पूरी हुई
दूसरी तरफ एक समुदाय ने स्वीकार किया है
वह भी झगड़ा नहीं चाहता
सब विवाद को खत्म करना चाहता है
उसको भी यही रहना है
मिलजुलकर और भाईचारे से रहना है
यह भी बडे दिल की बात है
और हम यह अपेक्षा रखते हैं
तब यह भी रखे
ऐसा कुछ न हो कि
उनको दुख पहुंचे
अगर मोहल्ले में कोई दुखद घटना हो जाती है
तब भी लाउडस्पीकर को बंद कर दिया जाता है
त्यौहार को सीमित रूप में मनाया जाता है
तब अगर हिंदू जश्न मनाए
तब यह भी ध्यान रखें
किसी की भावनाओं को ठेस न लगे
यह वही हिंदूस्तान है
जहाँ का मुस्लिम चूडीहारा
सुहागिनो को चूडियां पहनाता है
उसी जुलाहे की बुनी हुई बनारसी साड़ी पहनती है
रामलीला में रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर ज्यादातर मुस्लिम ही होते हैं
कुछ ऐसे पेशे थे जिस पर उनका ही एकाधिकार था
और यह सदियों से चला आ रहा है
आज भी एक भाई खुशी मनाए
पर उसको चिढाकर और दर्जाकर नहीं
कहावत है न
भाई जो बाद में हिस्सेदार हो जाता है
उसे कभी कम नहीं समझना
वह चाहे तो आपके लिए समस्या खडी कर सकता है
तब प्रेम से जो बात बन सकती है
उसे बिगाड़ने न दिया जाए
देश सबका है
तब अधिकार भी सबका है समान
किसी का कम और ज्यादा नहीं
समझदारी दोनों को दिखाने की जरूरत है
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Monday, 11 November 2019
समझदारी दोनों को दिखाने की जरूरत है
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