Friday, 11 December 2020

आराम कहाँ ???

आराम करो
बस बहुत हो गया काम
सब अपने अपने पैरों पर निर्भर
नहीं किसी चीज की कमी
सब अपने पैरों पर

सही है
सब अपने पैरों पर
सबको खडा करते करते
ये पैर कमजोर हो गए
अब तो ताकत ही नहीं बची है
आराम करना है
वह नसीब में कहाँ

पहले सबके लिए खाना बनाती थी
अब स्वयं के लिए
पहले सबका साथ था
अब अकेलापन है
सब काम तो करना है
सबके लिए न सही
अपने लिए
भोजन भी बनाना है
पेट भी तो है

सब आत्मनिर्भर हो गए
अपना अपना घर बसा लिया
जो घर पहले सबका था
आज केवल हमारा है
उसकी भी देखभाल करनी है
साफ - सफाई करवानी है
यह तो रोजाना की बात है
पहले जो थे हाथ बटाते थे
अब तो कोई नहीं
तब आराम का तो सवाल ही नहीं

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