Saturday, 30 August 2014

उपकरणों को साधन बनाओ साध्य नहीं।

मोबाइल , दूरदर्शन, कंप्यूटर , बन गए है आज की जरूरत,
कभी यह किसी कारण वश खराब हो जाए तो मन बेचैन हो जाता है। 
लगता है हमारा जीवन थम सा गया है ,
हम इन उपकरणों के गुलाम बन गए है ,
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हमारी सुविधा के लिए है , 
न कि हमारे जीवन पर हावी होने के लिए है। 

जरूरत के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान है , जीवन के लिए नहीं। 
अतः हमें इन सबका गुलाम नहीं बनना चाहिए। 
आज की युवा पीढ़ी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए। 


Thursday, 28 August 2014

पर्यावरण की सुरक्षा

प्रकृति माँ है जो हम पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है। 
उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है , लेकिन आज क्या हो रहा है ?
पेड़ काटे जा रहे हैं , जंगल समाप्त हो रहे है। 
पशु - पक्षी , चट्टान,  पहाड़, समुद्र , नदी सबको हम नुक्सान पहुँचते जा रहे है। 

इसका दुष परिणाम भी देखने को मिल रहा है ,
यह किसी एक की समस्या नहीं , सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। 
सारी पृथ्वी को हमने प्रदूषित कर रखा है। 
अगर यही हाल रहा और प्रकृति ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया तो मनुष्य जाती और उसके बनाए संसाधनो को नष्ट होते और खंडहर में तब्दील होने से कोई नहीं रोक सकता …
आज बादल फट रहे हैं
असमय बारीश हो रही है.
मौसम में परिवर्तन हो रहा है
पूरे विश्व में खतरे का आभास हो रहा है



Wednesday, 27 August 2014

यह है मुंबई मेरी जान ....

रंक से राजा बनाने वाली , फर्श से अर्श तक पहुँचाने वाली 
हर किसीको मौका देने वाली , सबको अपने में समाहित करने वाली 
यह है मुंबई मेरी जान , उसी मुंबई को यह क्या होगया है। 

औरतों के लिए सबसे सुरक्षित माना जाने वाला शहर उसी मुंबई को यह क्या होगया है ?
अपराध थमने का नाम ही नहीं ले रहे है। 

कहा जाता है.… जो मुंबई में रह गया उसे दुनिया का कोई शहर रास नहीं आता। 
हमें अपनी वही प्यारी , स्वच्छ , स्वतंत्र कर्मठ और अपराध मुक्त मुंबई पहले जैसी चाहिए। 

मुंबई की संस्कृति विकास करने की है , अपराध करने की नहीं !!!


Tuesday, 26 August 2014

क्या यही है आजादी ???

महिलाएं , स्त्रियाँ सुरक्षित नहीं , पढ़ा-लिखा युवक बेकार 
इलाज के आभाव में दम तोड़ता गरीब , लूट-पाट , भ्रष्टाचार का बोलबाला 
स्वयं की भाषा  बोलने में शर्म का एहसास 
कही भी कूड़ा-कचरा फेकने की आजादी , सार्वजनिक स्थानोंपर हड़ताल आजादी 
बस , ट्रैन ,जीप फुक ने की आजादी, सरकारी कर्मचारी को घुस लेने की आजादी 
पुलिस को निरपराध लोगो को बंद करने और मार ने की आजादी 
नेताओ को अपनी अपनी तिजोरी भरने की आजादी 
किसानो को आत्महत्या करने की आजादी 
गर्भ में बेटियो को मारने की आजादी 
आजादी के इतने वर्षो बाद भी अगर यहि आजादी के मायने है तो फिर कैसी आजादी ??
अधिकार के साथ कर्त्तव्य का पालन करना भी सही मायने की आजादी होगी। 


Friday, 22 August 2014

बलात्कार जैसी घटना छोटी नहीं होती…

वित्त मंत्रीजी हर वक़्त फायदे की बात नहीं सोची जाती। निर्भया कांड़ को छोटी सी बात कहना और उससे पर्यटन विभाग के नुक्सान का लेखा - जोखा करने के अपेक्षा कोशिश करना चाहिए की कानून व्यवस्ता अच्छी रहे। बलात्कार , छेड़ - छाड़ , क़त्ल , लूट - पाट जैसी घटना को देख - सुन कर कौन पर्यटक हमारे देश आना चाहेगा। लोग पर्यटन मौज - मजा के लिए करना चाहते है न की इन अपराधियो का शिकार बनने और अपने जान - माल के हानि के लिए। 

किसीको दोष देने से अच्छा है कानून व्यवस्ता को बनाइये।  


Thursday, 14 August 2014

अलविदा हास्य के बादशाह रोबिन विलियम्स !!!

लोगों को हँसाने वाले हॉलीवुड के रोबिन विलियम्स इस संसार को इस तरह से छोड़ कर चले जाएँगे यह किसी ने कल्पना भी न की होगी। वह व्यक्ति हसाते समय अपने मन में कितना संघर्ष कर रहा होगा। मुखौटा पहन कर अपने अंतरतम को छुपाना इतना आसान नहीं। किसी ने सच ही कहा है :

" जो जितना घाव लिए बैठा दिल में 
वह आहे भरते उतना ही सकुचाता है 
अलविदा हास्य के बादशाह को " 


Friday, 8 August 2014

जिंदगी का साथ निभाती पुस्तकें ...

पुस्तक मानव को मानव बनाती है ,
पुस्तकें हमारे अतीत का आईना होती है ,
पुस्तकें हमें सच से रूबरू कराती है ,
कल्पना हो या परी लोक , सबकी सैर कराती है पुस्तकें ,
प्यार हो या संघर्ष हर जगह साथ निभाती है पुस्तकें ,
अकेलेपन का साथी है पुस्तकें ,
समाज और लोगों की प्रेणा होती है पुस्तकें ,

टेक्नोलॉजी कितना भी विकास कर लें , पुस्तक की जगह तो नहीं ले सकती ,
पुस्तक का स्थान हर युग में महत्वपूर्ण था और है।
प्राचीन युग हो या आधुनिक युग हमेशा जिंदगी का साथ निभाया है पुस्तको ने।


Wednesday, 6 August 2014

क्या यही है गुजरात के विकास का नमूना ???

गुजरात का एक गाँव जहा बच्चे नदी पार कर हर रोज़ पाठशाला जाते है। नदी किनारे तैयार हो कर आते है, फिर पीतल के हंडे में अपना बस्ता , किताबे , और कपडे उतार कर रखते है , दूसरे किनारे पर पहुंच कर हंडे में से अपनी किताबे और कपडे निकालते है इसके बाद पाठशाला जाते है। सुना था गरीबी के कारण पैसा न होने के कारण लाल बहादुर शास्त्री गंगा पार कर पाठशाला जाते थे। लेकिन आज यह देख - सुन कर आश्चर्य होता है। 

क्या यही है गुजरात के विकास का मॉडल। वह भी इक्कीसवी सदी में ??? उन्नति और विकास की बाते की जाती है वहाँ पर अपने जान पर खेल कर बच्चो को पढाई करना पड़ता है। इस नदी पर सरकार ने इसपर से उसपार जाने के लिए पुल का निर्माण तक नहीं किया या उन गावो के बच्चो के लिए पाठशाला तक नहीं खोली। 

यह कौन से भारत और कौन से गुजरात मॉडल की तस्वीर है समझ में नहीं आता।


Monday, 4 August 2014

भारत नेपाल मैत्री जिंदाबाद।

नेपाल का एक बिछड़ा बच्चा नाम उसका - जीत बहादुर ,
बहादुरी से जीता उसने दिल नरेंद्र मोदी का ,
मासूम , भोला , नादान ,
किया उसके जीवनयापन और शिक्षा का प्रबंध मोदी ने ,
आज वह दस साल का बच्चा बड़ा हो गया है ,
छोटे भाई को बड़े भाई ने जतन से संभाला ,
इसीतरह नेपाल भी भारत का छोटा भाई,
इस संबंध को संभाल कर रखना है ,
गोरखाओं ने राष्ट्रीयता निभाई है ,
बहादुरी, स्वामी भक्त मिसाल रहे है वह ,
सतराह साल बाद मोदी जीने नेपाल की यात्रा कर उनको अपनेपन की याद दिला दी ,
न नेपाल भूलेगा मोदीजी की यात्रा को,
और न मोदी भूलेंगे उनका इस तरह स्वागत सत्कार को,
आशा है दोनों देशो की मैत्री इसी तरह चलती रहेगी।



Sunday, 3 August 2014

हैपी फ्रेंडशिप डे

आज फ्रंडशिप डे है। जिंदगी का सबसे खूबसूरत रिश्ता। जिसके लिए खून , सरहद , जेंडर , स्टेटस , मजहब कुछ मायने नहीं रखते। यह मजबूरी का नहीं अपना चुना हुआ रिश्ता है। दोस्त बनाने में अजनबीपन बाधक नहीं। कही भी किसीभी समय दोस्ती हो सकती है और वह ताउम्र चलती रहती है। दोस्ती निभाने के लिए गर्मजोशी , सहानभूति , प्यार , धीरज की आवश्यकता होती है। आज तो फेसबुक का युग है। जहा आप ना जाने कितने दोस्त बना सकते है और अनजान मित्र भी आपको बहुत सारी जानकारी उपलप्ध करा देता है और सहायता कर देता है। अपने सुख दुःख बाट सकते है। 

कृष्ण - सुदामा , राम - सुग्रीव , दुर्योधन - करण की दोस्ती इतिहास प्रसिद्ध है। चीरहरण होते समय अपनी सखी द्रोपदी की सहायता करते और कुरुक्षेत्र के रण भूमि में अपने सखा अर्जुन को युद्ध के लिए सज्य करते कृष्ण की भूमिका का तो जवाब ही नहीं। दोस्त जिंदगी को सवारने और बिगाड़ने दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अच्छा और सच्चा दोस्त हमारी जिंदगी को आसान और खुशमय बना देता है। बिना दोस्त के जिंदगी नीरस हो जाती है अतः जीवन में दोस्त होना बहुत जरूरी है। 

" कब मिले , कब बिछड़े , यह तो याद नहीं , जिंदगी के हर पड़ाव पर दोस्त मिलते गए ,
जिंदगी का साथ निभाते गए , उन सभी दोस्तों और साथियो को "हैपी फ्रेंडशिप डे " . "


Friday, 1 August 2014

जनता अपने प्रधानमंत्री को सुनना चाहती है।

शायद हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपना मौन विरासत में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे दिया है। चुनाव के पहले मोदीजी की गर्जना और भाषण सुनने के लिए लोग उतावले रहते थे, वही आज उनकी आवाज सुनने को तरस गए हैं। देश में हाल ही में ऐसी कितनी ही घटनाऍ हुई जैसे कि सहारनपुर या बदायू काण्ड या बढ़ती हुई महंगाई, बाढ़ और सूखे की स्थिति, जासूसी कांड, सीएसएटी का मुद्दा, कही भी प्रधानमंत्री की तरफ से कोई आस्वासन या प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। जनता अपने प्रधानमंत्री को देखना - सुनना और उनसे जुड़ना चाहती है। इंटरनेट सबकी पहुँच से बाहर है। मौन रहकर काम करना अच्छी बात है पर इतना भी मौन नहीं कि साधारण जनता आप को और आप के कार्य को समझ ही न सके।