Thursday, 7 March 2019

उससे ही घर ,घर है

तड़के सुबह उठना
बाहर जाकर दूध लाना
चाय -नाश्ता और खाने की तैयारी करना
सबके टिफिन भरना
बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ना
घर की साफ -सफाई करना
नहा धोकर ,पूजा पाठ कर दफ्तर के लिए तैयार होना
रेल -बस के धक्के खाते पहुंचना
दिन भर कार्यरत रहना
आँफिस छूटते ही फिर भागमभाग
लौटते वक्त सब्जियों का थैला ढोते लाना
शाम के खाने की तैयारी
बच्चों का होमवर्क
खाना परोसने से ले बिस्तर बिछाने तक
यह सब एक औरत के जिम्मे
मर्द और बच्चों की अपनी दुनिया
पर उसकी दुनिया मे सब
केवल उसे छोड़कर
यह तो उसका कर्तव्य बनता है
वह घरनी है
घर की धुरी है
उसे भी कभी आराम की जरूरत
सबकी जरूरत का ध्यान रखने वाली का ध्यान
कोई नहीं रखता
जब तक कि वह बीमार न पड़ जाय
छूट्टी भी मजबूरी मे
क्योंकि वह मजबूर है अपनों के बंधन से
वह तोड़ना या छोड़ना नहीं चाहती
उसे पता है कि सब उससे ही है
वह है तो यह घर ,घर है
वह माली है
जिस पर बड़े पेड़ से लेकर छोटी लता की जिम्मेदारी है
माली अपने लगाये हुए बगिया को लहलहाते देखना चाहता है
   मुरझाते नहीं

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