क्या गुजरी होगी उस युवक पर
जिसका सुबह राज्याभिषेक होने वाला हो
रात भर में भाग्य ने ऐसा पलटा खाया
कि वन गमन करना पडा
नव विवाहिता पत्नी और छोटे भाई के साथ
पिता के वचन का मान रखने के लिए
पत्नी के साथ वन - वन भटकते हुए
उसकी रक्षा का भार उस पर
न जाने कितनी दिक्कतें आई होगी
शूपर्णखा , जयंत इसी की कडी है
सब सावधानी बरतने के बाद
लक्ष्मण का निद्रा त्याग ने के बाद भी
यह हुआ
सोने का हिरण देख स्वर्ण के प्रति स्त्री सुलभ मोह त्याग न सकी
सीता ने लक्ष्मण रेखा पार की
जगत जननी को
रावण बलात् हर ले गया
संन्यासी के भेष में शैतान
सोने के जैसे चर्म के मोह ने उन्हें सोने की लंका पहुंचा दिया
लेकिन वह उन्हें रास नहीं आया
अशोक वाटिका में रही
भूल तो हुई थी
यह राम ही थे
न उन्होंने माता कैकयी को दोष दिया
न अपनी धर्म पत्नी सीता को
वन - वन भटके
अपनी प्रिया को वापस लाने के लिए
रोते - बिलखते ढूंढते रहें
हे खग हे मृग
तुम देखी सीता मृगनयनी
पक्षी राज जटायु से पता होने के बाद
ऐसे बलशाली , साधनों से संपन्न रावण से
युद्ध के लिए तैयार हो गए
वानरों और भालू की सहायता ली
भाग्यवान थी जानकी
जिनको राम जैसा पति मिला था
विश्वास था
वह जरूर आएंगे
ऐसा प्रेमी ऐसा पति पाकर
हर स्त्री धन्य
उसी प्रिया को राज धर्म निभाने के लिए वन गमन भी
क्या बीती होगी उन पर
पहले पुत्र
फिर पति
पश्चात राजा
कितनी कठिन परीक्षा दी थी
नियति उनसे कैसा खेल करा रही थी
फिर भी राम तो राम ही थे
तभी तो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 16 October 2021
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment