रावण जलता है हर साल
इस साल भी जला
आतिशबाजी भी हुई
लोगों ने मजा लिया
तालियाँ बजाई
रावण का दहन हुआ
बुराई पर अच्छाई की विजय
अधर्म पर धर्म की विजय
अन्याय पर न्याय की विजय
विजयादशमी संपन्न हुई
यह भी ध्यान रहें
रावण साधारण मानव नहीं था
त्रृषि पुलत्स्य का नाती
कुबेर का भाई
वेदों का ज्ञाता
अंकाड विद्वान पंडित
महान शिव भक्त
उसका अंत इस तरह
कारण जब पाप ने घेरा
घमंड ने कब्जा कर लिया
पराई स्त्री पर कुदृष्टि
यह सब उसके अंत का कारण
यही तो सीख है
हम साधारण जीवन जीए
व्यभिचार से दूर रहें
ईमानदारी से रहें
सत्य की राह पर चलें
नम्र रहें
आखिर अंत में सबको इस संसार से रूखसत ही होना है
क्यों सदियों तक हमें जाना जाएं
हम क्या थे
कर्म करें
ऊपर वाला सब देख रहा है
छोड़ दीजिए सब उस पर
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