वह चलायमान है
परिस्थिति अनुसार बदलाव आता रहता है
पेड़ के पत्तें जैसे
शुरू शुरू में कोमल कोमल नर्म नर्म
हल्का हरा गाढ़े में बदल जाते हैं
पत्तियां कठोर हो जाती है
धीरे - धीरे पीलापन छाने लगता है
एक दिन वह भी आता है
जब सूख कर और मुरझा कर गिर जाते हैं
समय का थपेड़ा है यह
जो घनिष्ठता और अपनापन होता है
वह समय के अनुसार बदल जाता है
जीवन में नये लोगों का आगमन होता है
पुराने दरकिनार किए जाने लगते हैं
हमें बुरा लगता है
हमारी अहमियत कम लगती है
वह स्नेह और प्रेम अब नहीं झलकता
उसे स्वीकार करो
पीले पत्तों जैसे
हमेशा हरा हरा नहीं रहेगा
अपने दिल की किताब में उन कोमल पत्तों को छुपा कर रखो
याद कर लो उन पलों को भी
जब वह साथ- साथ थे
लम्हों को क्यों भुलाया जाए
वह अच्छा वक्त जो साथ गुजरा था
कोई गिलां शिकवां नहीं
वह भी स्वीकार था यह भी स्वीकार है
यह तो प्रकृति का नियम है
परिवर्तन अवश्यंभावी है
न वो , वो रहें न हम, हम रहें
बस वह जमाना याद है
यात्रा में जो - जो साथ चलें
सबका शुक्रिया