मैं एक नौकरी पेशा महिला हूँ
रात से ही अगले दिन का काम शुरू हो जाता है
कपडे निकालकर रखना ,आटा गूंथना ,सब्जी काट कर फ्रीज में रखना ,पति और बच्चों के कपडे,युनिफॉम
अलार्म लगाना ,यह रोज की दिनचर्या
बाकी सदस्य टी वी या दूसरे मनोरंजन में व्यस्त
तो मैं अगले दिन की तैयारी में व्यस्त
सुबह अलार्म की घंटी के साथ उठना
दूध गर्म करने से लेकर टिफिन तैयार करने तक
कैसै वैसे तैयार होकर बस और ट्रेन के धक्के खा दफ्तर पहुँचना ,काम में व्यस्त हो जाना
लंच के समय जल्दी जल्दी रोटी सब्जी गटकना
ताजातरीन होने के लिए तीन चार बार चाय
शाम होते ही फिर वही आपा धापी
घर पहुँचने की चिन्ता ,अगले दिन और काम की चिंता
लोग कहते है कि
अपने लिए समय निकालो लेकिन किस तरह
इसमें दोष किसी का नहीं
आत्मनिर्भर होने और जीवन शैली ऊँचा करने के लिए
यह रास्ता तो मेरा ही चुना हुआ है
आज हालात यह है कि मकडी जो जाला बुनती है
और स्वंय उसी में उलझ कर रह जाती है
परिवार के रहन सहन ,मंहगे स्कूल ,कार ,मंहगे घर
LED टी वी से लेकर मंहगे मोबाईल ,हवाई जहाज का सफर ,साल में एक बार दर्शनीय स्थल जाना
पर सुकुन और संतोष छिन गया
खुशी और सुकुन की जगह परेशानी
दोष किसी का नहीं
आर्थिक आजादी तो मिली पर मन की आजादी कहीं खो गई
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Sunday, 27 September 2015
नौकरी पेशा महिला --आज के हालात
हम इतने संवेदन हीन क्यों हो गये हैं?
एक लडके को दूसरे लडकों ने पीट पीट कर मार डाला और वह भी किसी सुनसान जगह पर नहीं व्यस्त स्टेशन पर
लोग आते जाते रहे तमाशा देखते रहे लेकिन किसी ने रोकने की कोशिश नही की
यह केवल एक घटना नही आए दिन ऐसी घटनाएँ हो रही है
मरते हुए का वीडियो बनाया जा सकता है कुछ महीने पहले की घटना कि सहेली मर रही थी पर उसका वीडियो बनाया जा रहा था अपने को पुलिस से बचाने के लिए
इलेकट्रानिक उपकरणो के लोग गुलाम हो गये हैं
कोई अपनी आत्महत्या का वीडियों बना रहा है
तो कोई दुसरे की
रास्ते पर कोई तडपता रहे या कोई किसी बुजुर्ग का अपमान करता रहे या कोई किसी को मारता रहे
हमें क्या?
सही भी तो है इस आपाधापी के युग में कौन मुसीबत ले ,हर व्यक्ति डरा हुआ है
लेकिन इसका एक दूसरा पहलु भी है कुछ दिन पहले दिल्ली में एक विदेशी महिला की रक्षा करने को पास के बगीचे में खेल रहे बच्चे आए और उस शख्स को पुलिस के हवाले किया
अकेला नही कर सकता पर मिलकर तो बीचबचाव कर सकते है ताकि किसी की जान न जाए
निर्भया के नाम पर जुलूस ,रैलियॉ और प्रर्दशन तो हुए लेकिन अगर निर्भया मरती रहेगी तो बचाने कोई नही आएगा हॉ उसका वीडियो बना सकते है
ऐसा होने के पीछे कारण क्या है?
पुलिस, प्रशासन ,समाज सभी को सोचने की जरूरत है
Saturday, 26 September 2015
बेमिसाल और सदाबहार हीरो देवानन्द --जन्मदिन मुबारक हो देव साहब
आज देव साहब का जन्मदिन है वे शरीर से भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन लोगों के दिलों में वे जीवित है और हमेशा रहेगे
उनकी वह हिलने और सर झुकाने की अदा
उनके प्यार और रोमांस की अदा
वह काला कोट पहनने की अदा उनकी अदाओ का सारा जमाना दीवाना था लडकियॉ उन पर मर मिटती
समय से आगे रहे हैं देव साहब
गाइड ,हरे रामा हरे कृष्णा यह फिल्में मील का पत्थर है
२६ सितम्बर १९२३ को पंजाब के गुरूदासपुर में जन्मे देवानन्द अपनी एक अलग छाप छोडी
उनका अभिनय का अंदाज ही निराला था
फिल्म बनाना नये नये विषय को लेकर और नयीअभिनेत्री को लेकर
जीनत अमान और टीना मुनीम उन्हीं की खोज है
गाइड का लाजवाब किरदार उनसे अच्छा कोई निभा ही नहीं सकता था
वे फिल्म इंडस्ट्री के भी एक तरह से गाइड ही थे
उन्होने अपना सारा जीवन फिल्म को ही समर्पित किया
अंतिम समय तक उन्होने अपना साथ फिल्म के साथ निभाया
वे सही अर्थो में नायक थे लोगों के दिलों पर राज किया
उनके प्रशंसक हमेशा उनके ही रहे नौजवान बने रहना और दिखना देव साहब को हमेशा पसन्द था
उमर के आखरी पडाव पर भी वे नौजवान ही बने रहे
उनका निराला अंदाज शायद ही फिर कभी देखने को मिले
रक्तदान का महाकुम्भ ---आप भी योगदान दीजिए
समृद्ध जीवन फाउंडेशन की तरफ से हर वर्ष यह महामुहिम चलाई जाती है आज के दिन
अलग अलग राज्यो में मिशन ब्लड डोनेशन चलाया जा रहा है
उडीसा ,गुजरात ,महाराष्ट्र ,नोएडा हर जगह
भारत में हर दिन न जाने कितने लोगो की मौत रक्त के अभाव में हो जाती है
एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन महीने में एक बार रक्त दान कर सकता है
आप के रक्त की एक बूंद बन सकता है किसी की दिल की धडकन
यह किसी मॉ को जीवन दान दे सकता है
सीमा पर लड रहे सैनिको के काम आ सकता है
डेंगू के मरीजो को नव जीवन दे सकता है
डॉ महेश की तरफ से यह शुरू किया गया कार्य आगे बढता ही जा रहा है
रूपया पैसा तो लोग दान करते ही है पर जीवन दान करना बहुत पुण्य काम है
समाज के प्रति हर किसी की जिम्मेदारी बनती है
हर जगह रक्तदान शिविर लगा है
आप भी इसमें हिस्सा लीजिए और इस नेक काम में योगदान देकर जिन्दगी को सार्थक कीजिए
अपने साथ जुडे लोगों को भी इस महान कार्य के लिए प्रेरित कीजिए
Friday, 25 September 2015
शराब पीने की उम्र क्या हो ?
दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा का बयान कि शराब पीने की उम्र घटाया जाय दिल्ली में शराब पीने की उम्र सीमा २५ साल है उसको घटा कर कम किया जाय
कुछ राज्यो मे यह १८ साल भी है पर आप सरकार की क्या मजबूरी आ पडी कि युवाओ को रोजगार देने की अपेक्षा और फ्री वाई फाई देने की अपेक्षा इस तरह के बयान की जरूरत आ पडी
इस बात का समर्थन के लिए केजरीवाल क्या जनता का समर्थन लेगे
दिल्ली भारत की राजधानी है ऐसा तो नही सरकार अपनी एक्साइज इस बहाने बढाना चाहती हो या फिर वोट पर नजर हो
एक व्यक्ति जो अपने पैरों पर बराबर खडा नही हुअ है
उसकी पढाई करने और करियर बनाने की उम्र में शराब की छूट देकर शराबी बनाया जाय
ऐसे ही अपराध बढ रहे है
इस बयान से युवाओ में कौन सा संदेश जाएगा
शराब पीकर गाडी चलाने से आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही है परिवार और जिन्दगी तबाह हो रही है
ऐसे समय में इस पर पाबंदी लगाने कीबजाय इसे प्रोत्साहन देने की बात है
इससे कौन सा विकास होगा?
न व्यक्ति का न परिवार का न समाज का न देश का
कौन माता पिता चाहेगा कि उनका युवा बेटा शराब पीए
उस पर यह सलाह कि इस बात पर विचार विर्मश होना चाहिए
इतनी सारी गंभीर समस्याओं को छोडकर ऐसी बात पर विचार विर्मश?
सद्भभावना और राष्ट्रीयता
आपस में प्रेम हो सद्भभाव हो ,सबको जीने का अधिकार हो ,हम सब है स्वतंत्र देश के वासी
विकास की दिशा में बढते भारत की आवश्यकता है ये
यह तभी संभव है जब आपस मे प्रेम और भाईचारा हो
यह वही भारत है जहॉ
काशी विश्वनाथ में बिसमिल्ला खॉ की शहनाई बजती
गणेश पूजा में सब मिल जुलकर भाग लेते हैं
क्या गरीब क्या अमीर क्या हिन्दू क्या मुस्लिम
बप्पा का स्वागत और बिदाई सभी चाव से करते है
माउंट मेरी की जत्रा में सब बढ चढकर भाग लेते हैं
हाजी अली की दरगाह पर चादर हर वह व्यक्ति अपनी मन्नत पूरी होने पर चढाता हैं
दीवाली पर अगर मिठाई बॉटी जाती है तो ईद की सिवईयॉ भी उतने ही प्रेम से
क्रिसमस पर केक काटना और सजावट हर कोई करता नया वर्ष सब उत्साह के साथ मनाते हैं
फिर क्यों जरा सी चिन्गारी पर तेरा मेरा की भावना आ जाती है
ईद की चॉद को मुस्लिम मुबारक कहता है तो करवा चौथ के चॉद से हिन्दू सुहागिने अपने सुहाग की दुआ मॉगती हैं
पारसी अगर सूर्य देवता की उपासना करते है तो हिन्दुू हर रोज उन्हे जल चढाते हैं
सूर्य और चॉद तो किसी से भेदभाव नही करते
हवा,पानी ,उजाला प्रकृति बिना भेदभाव के बॉटती है
तो हम इन्सान क्यो अलग थलग की भावना
मंदिर,मस्जिद ,गिरजाघर ने बॉट लिया भगवान को
धरती बॉटी सागर बॉटा मत बॉटो इंसान को
Monday, 21 September 2015
क्या आम क्या खास सभी के बप्पा
गणपति बप्पा मोरिया ़़़़़़़की गूंज पूरी मुंबई में गूंज रही है क्या आम क्या खास सबके बप्पा पघारे है
यह उत्सव पूरे दस दिन तक चलता है
हर गली गली ,मुहल्ले ,सोसायटी और घर में लोगों ने गणेश जी को स्थापित किया है
जाति धर्म और सम्प़्रदाय से परे सब बप्पा की पूजा अर्चना में शामिल होते हैं
अपनी अपनी सामर्थय अनुसार फिर वह झोपडपट्टी हो या बडी सोसायटी
सलमान खान जैसी सेलेब्रिटी हो या आम सब्जीवाला
हर कोई उनके अगले बरस आने की कामना करता है, वैसै तो हर हिन्दु पूजन में सर्वप्रथम गणेश की पूजा की जाती है, बुद्धिऔर समृद्धि के दाता है गणेश
लोकमान्य तिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव शुरू किया था स्वत्रतंता की लडाई में लोगो को एकत्र आने का संदेश देने के लिए
केशव जी नाईक चाल से शुरू हुई यह गणपति आज हर गली गली में विद्यमान हो गये हैं
घर या कार ,कोई ऐसी जगह नहीं जहॉ गणेश जी न मिल जाय
विघ्नहर्ता ,लंबोदर जिनकी सवारी मूषक जो छोटे से छोटे जीव का भी महत्तव बताती है
विसर्जन भी कोई कार में ,ट्रेन में,टेक्सी ,ठेलागाडी या हाथ में ले जाकर करते है
बप्पा के आते ही मुंबई में बारीश भी हो रही है जो एक अच्छा संकेत है
पार्वती सुत गणेश अपनी कृपा सब पर बरसाये
देश समृद्धि और विकास के रास्ते पर चले
विघ्नहर्ता सबका विघ्न हरे
हर किसी के प्यारे बप्पा गणपति बप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया
Friday, 18 September 2015
त्योहारों में जुए और शराब का चलन उचित नहीं
दीवाली के त्योहार में शराब और जुए का चलन आम बात है गरीब तो और भी बरबाद हो जाते हैं सस्ती शराब की लालच में हर नये साल पर ऐसी घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है ऐसी ही एक शराबी की पत्नी की व्यथा जब वो आता था घर ,नशे में धुत्त ,मारना पीटना गाली
पर वह मेरा तथा बच्चों का सहारा भी था
हमारा घर चलानेवाला मेरे बच्चो का पिता
निशिंचत होकर हम रहते थे ,घर में दो जवान होती लडकियॉ पर क्या मजाल कि कोई उन्हे ऑख उठाकर भी देख ले
पेट भर खाना मिलता था किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नही पडती थी
थकान मिटाने के लिए दिन भर साफ सफाई का काम करने के बाद शराब जरूरत थी उसकी.
वह मंहगी नही सस्ती दस रूपये वाली शराब पीता था
ताकि हमारा जीवन यापन अच्छी तरह से हो
पर उसे नही मालूम था कि दस रूपये का सस्ता सौदा इतना मंहगा पडेगा कि जान ही ले लेंगा
अब तो चारो तरफ अंघेरा ही अंधेरा
एक विधवा और असहाय की जिन्दगी बिताने से तो अच्छा था शराबी की पत्नी
पर यह प्रश्न मैं पूछना चाहती है कि दोषी कौन
क्या उन्हे सजा मिलेगी
क्या जहरीली शराब बंद होगी
Thursday, 17 September 2015
और कितनी मौते? क्या कर रही है सरकार
लोग परेशान करते रहे और हम काम करते रहे
केजरीवाल और आप का विग्यापन है यह
क्या काम हो रहा है
डेंगु से लोग मर रहे हैं अस्पताल में जगह नहीं है
दिल्ली सरकार क्या सुध ले रही है
एक मासूम बच्चे को लेकर माता पिता अस्पताल के चक्कर लगाते रहे और अंत में बच्चे की मृत्यु हो गयी
माता पिता ने इस सदमे से आत्महत्या कर ली
ऐसे न जाने कितने बच्चो और बडो का यह हाल हुआ है और हो रहा है
मच्छर का सामना नहीं कर पा रही है सरकार
क्या ऐहतियात बरते जा रहे हैं
डेंगु से बचाव और मच्छरो को खत्म करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है
यह जवाब देही किसकी बनती है
केजरीवाल जी इसका जवाब कौन देगा ंंंंंं
मोदी जी जन्म दिन की शुभकामना
एक साधारण परिवार मे जन्म लेने से एक कार्यकर्ता बनने तक और फिर गुजरात के मुख्यमंत्री और बाद मे देश का प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने तक की आपकी जीवन यात्रा ने अनेक पडावो को पार किया है
आज भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिससे जनता को बहुत अपेक्षाएं हैं
जातिवाद ,प्रांतवाद ,भाषावाद और भ्रष्टाचार के दलदल से देश को निकालने की जिम्मेदारी आपकी है
बेरोजगारी खत्म करना और विकास के मार्ग पर देश को ले जाना है
स्वच्छ भारत का सपना साकार करना है
१२१ करोड देशवासियों के प्रधानमंत्री है आप
कमी जनता में नहीं नेता में होती है
जनता को अगर योग्य नेता मिलता है तो वह उसके पीछे चल देती है
भारत की जनता आपके पीछे चल पडी है
उसका विश्वास आपके ऊपर है चाहे दुसरे कुछ भी कहते रहे
ईश्वर आपको लंबी उ्मर दे आप चिरायु हो
आज गणेश चतुर्थी के दिन आपका जन्मदिन आया है
गणेश भक्त गणेश को अपने घर लाते हैं
उसी तरह भारत की जनता ने आपको अपना नेता बनाया है
आशा है आप उनकी उम्मीद पर खरे उतरेगे
खूब जीए चिरायु हो और जनता के प्रधानमंत्री बने रहे
Wednesday, 16 September 2015
भारत की धर्म निरपेक्षता क्या खतरे में?
सभी धर्मो के लिए समान आदर ही धर्म निरपेक्षता है
हमारी संस्कृति हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाती है
हर देश का यह फर्ज है कि वह अपने नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करें
अगर हम अपने बच्चों के लिए बेहतर समाज चाहते हैं
उन्हें बेहतर नागरिक बनाना चाहते हैं तो हमें किसी भी प्रकार के नफरत को बढावा नही देना चाहिए
हर व्यक्ति को जाति ,धर्म के भेदभाव के बिना समान अवसर और समान जीवन जीने का हक है
हमें ऐसी प्रणाली बनानी होगी जहॉ काम के आधार पर लोग नेताओ को चुने ,धर्म के आधार पर नही
हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए पर अपनी इच्छा किसी पर लादनी नही चाहिए
किसी एक को संतुष्ट करने के लिए दूसरों की इच्छा का दमन करना उचित नहीं है
आज मॉस पर बंदी तो कल दूसरे पर बंदी
तुष्टीकरण की नीति क्यों
हम कैसै जीए यह हमारा फैसला होना चाहिए हॉ वह कानून के दायरे में
पर आज कल तो बंदी शब्द चल निकला है
हर धर्म अपने किसी न किसी पर्व या त्योहार पर कुछ न कुछ मॉग रखेगा और यह हो भी रहा है
सरकार किस किस की मॉग मानेगी और तुष्ट करेगी
क्यों लोग सहिष्णु नहीं हो सकते
एक ही परिवार में शाकाहारी और मॉसाहारी दोनों रहते हैं एक ही धर्म मानने वाले अलग अलग प्रांतों की अलग जीवन शैली होती है
एक में मॉ दुर्गा को बली दी जाती है तो दूसरी जगह नही
उत्तर भारत का ब्राहण शाकाहारी तो अन्य का नहीं
क्या फर्क पडता है
यह सब छोडकर जीओ और जीनो दो की नीति अपनाई जाय तो बेहतर है
Tuesday, 15 September 2015
इच्छा मृत्यु का अधिकार - एक संवेदनशील पहलू
एक व्यक्ति जो मरणासन्न ,अचेतन अवस्था में पडा हुआ है उसका जीना या न जीना कोई मायने नही रखता ,एक वक्त के बाद अपने भी ऊब जाते हैं
कोई कितना दूसरे को संभालेगा ,संभालते संभालते उनकी जिन्दगी भी बदतर होती जाती है
वह न जी पाता है न मर पाता है
किसी एक व्यक्ति के कारण उनकी जिन्दगी दुरूह बन जाती है ,जिन्दा रहने के लिए दवाई ,खाना पीना इत्यादि खर्च जो कि उनके बूते के बाहर हो
लोग सालो साल बिस्तर पर निर्जीव से पडे रहते हैं
अगर ऐसी अवस्था है तो इच्छा मृत्यु ही इसका एकमात्र विकल्प है
कानून में इसको मान्यता मिलनी चाहिए बशर्ते कि उसका दुरुपयोग न हो
जैन धर्म में संथारा और हिन्दू धर्म मे वानप्रस्थ इसी का एक प्रकार है
कुछ देशों में इसे मान्यता प्राप्त है हमारे देश में भी इस पर विचार होना चाहिए
Monday, 14 September 2015
बिहार का चुनाव बहार ही बहार
बिहार का चुनाव बहार ही बहार है
नेताओ के भाषण ,बडे बडे वादे ,सहायता कीघोषणा
मोदी जी से लेकर राहुल गॉधी का दौरा
लालू ,नितीश ,सोनिया से लेकर जीतनराम मॉझी और पासवान सब अपनी ताकत आजमा रहे है
शब्दो से ,वादो से ,पैसों से
अब तो शिवसेना और ओवैसी भी उतरने वाले है मैदान में पप्पु यादव तो पहले से ही जमे है
केजरीवाल भी जा आए है नितीश के बुलावे पर
शत्रुघन सिन्हा अपने अलग तेवर दिखला रहे है
बिहार चुनावी अखाडा बन गया है
गॉधी के चंपारण से जे पी की सम्पूर्ण क्रांति की भूमी है बिहार
गौतम और महावीर की स्थली है बिहार
बिहारियों की डी एन ए क्या कमाल दिखाता है
यह तो भविष्य ही बताएगा
पतझड किस पर आएगा
कौन जीतेगा कौन हारेगा
कौन किसके सहारे चलेगा
कौन किसको पटखनी देगा
कौन दोस्त कौन दुश्मन
यह तो राजनीति है भाई. यहॉ कुछ भी हो सकता है.
हमें तो तमाशायी बन तमाशा देखना है
चुनाव बिहार की जनता को करना है पर याद रहे सूझ बूझ और समझदारी से
किसी के बहकावे ,वादे और भुलावे में नही आना है
विकास को वोट देना है
बीमारू नही बेहतर प्रदेश बनाना है
बिहार का चुनाव ही भारतीय राजनीति की दशा और दिशा तय करेगा
भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है यह आनेवाला वक्त ही बताएगा पर अभी तो बहार ही बहार है
हिन्दी हमारी कमजोरी नहीं ताकत होनी चाहिए
भोपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन हुआ और उसमें प्रधानमंत्री ने भी शिरकत की ,यह अच्छी बात है ,ये पहले प्रधानमंत्री है जो हिन्दी को इतनी तवज्जो दे रहे है
हिन्दी को क्यों हीन भावना से देखा जाता है अगर हम अंग्रेजी गलत बोले तो कोई बात नही पर हिन्दी सही बोले तो भी हँसी के पात्र
हिन्दी मे लोगो को जोडने की शक्ति है तो वह सम्मान और रोजगार की भाषा क्यो नही बन सकती
इसमें सरकार की बडी भुमिका हो सकती है
विदेशो में जहॉ हिन्दी को विश्वविधालयों में स्थान दिया जा रहा है वही हमारे देश में बंद हो रही है
आज हर व्यक्ति अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढाना चाहता है
हमारी फिल्म इंडस्ट्री हिन्दी के कारण ही फल फुल रही है पर बात करते समय ऐसा लगता है कि उनको हिन्दी आती ही नही
जो भाषा रोजी रोटी दे रही है उसे वे जानते नही
नई पीढी भी हिन्दी का उपयोग नही करना चाहती.
क्या मजबूरी है कि हमारी भाषा खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है
जब तक इसको रोजगार ,बाजार, विग्यान,अर्थशास्त्र से नही जोडा जाएगा तब तक यह आगे नही बढेगी
ऐसा न हो कि आज जो सिसक रही है कल बचे ही नही
ईसलिए नये तरीके अपनाना ,नये शब्दों को ग्रहण करना,आसान शब्दों का इस्तेमाल और रोजी रोटी से जोडना तभी हिन्दी का असतित्व कायम रहेगा
हम भी तब गर्व से कहेंगे
हम हिन्दी है
हिन्दी हमारी पहचान है
हिन्दी हमारी कमजोरी नही ताकत है
Sunday, 13 September 2015
हिन्दी है हम वतन है हि्दुस्तान हमारा आओ करे हिन्दी का सम्मान
हिन्दी हमारा राजभाषा ,जनभाषा
हिन्दी हमारे देश का गौरव सम्मान
हिन्दी बिना नहीं बने कुछ काम
मराठी ,गुजराती ,तमिल ,तेलगु सब है हमारी शान
हिन्दी उनसे मिलकर बढाती देश की शान
गॉधी, सुभाष ,नेहरु,टैगोर, तिलक ,गोखले या राजगोपाला चार्य. सबने चुना हिन्दी को
साहित्यकारों, क्रांतिकारियों की भाषा ,संघर्ष भाषा
स्वतंत्रता का संदेश घर घर तक पहुँचाने वाली हिन्दी
क्यों उपेक्षित है?????
विदेशो में सम्मान और देश मेे उपेक्षित क्यों???
यह हाल केवल हिन्दी का नही सभी भारतीय भाषाओ का हाल
हिन्दी ही क्यों सभी भारतीय भाषाओ का सम्मान कीजिए
भाषा ही देश और संस्कृति की पहचान है
उसको कायम रखना हमारी जिम्मेदारी
अपनी भाषा बोलने में शर्म नही गौरव महसूस कीजिए
करो हिन्दी का सम्मान
हिन्दी ही दिलाएगी देश को मान
जय हिन्दी जय हिन्दूस्तान
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के रहस्यमय ढंग से गायब होने के पीछे क्या रहस्य
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मृत्यु क्यो ,कब और कैसै हुई ,यह गुत्थी आज तक सुलझी नही है
इतने बडे स्वतंत्रता सेनानी की मृत्यु गुमनामी में खो जाय ,यह सही नहीं है
सूचना के अधिकार के अंतर्गत हर भारतीय का हक है कि उनके नेता के बारे मे जानकारी मिले
क्या यह कोई साजिश थी या दुर्घटना?
अगर सरकार के पास फाईले है तो उनको सार्वजनिक किया जाय
सरकारे बदल जाती है पर यह गुत्थी अभी तक उलझी हुई है
ऐसे ही कई नेता लालबहादूर शास्त्री ,पंडित दीनदयाल उपाध्याय इत्यादि की मृत्यु भी सवालो के घेरे में है
जनतंत्र मे पारदर्शिता होनी आवश्यक है
यह केवल उन महान व्यक्तियों के परिवार की बात नहीं बल्कि सभी को सच जानने का अधिकार है
आशा है मोदी सरकार इस पर संग्यान लेगी
Saturday, 12 September 2015
बच्चो को चन्दा इकठ्ठा करने काम न दे
प्राकृतिक आपदा जैसै तूफान ,भूकंप ,बाढ या फिर नेत्रहीन संस्था या फिर सैनिक भाइयों के लिए पैसा इकठ्ठा करना
पाठशाला से मिले फॉर्म को लेकर अडोस पडोस में या रास्ते पर चन्दा मॉगते मिल जाएगे
कभी कभी तो उनकाे कोई झिडक देता है
कोई दरवाजा बन्द कर देता है
कोई व्यंग्य करता है इससे उनके बालमन पर बुरा प्रभाव पडता है
कभी कभी कुछ इसका गलत इस्तेमाल भी करते है
अभिभावक भी परेशानी से बचने के लिए अपनी ही जेब से पैसा भर देते हैं
कौन इन सब झंझट में पडे दुसरी बात आज के समय को देखते हुए बच्चो को घर घर भेजना उचित नहीं है
अ:त बच्चो को इन चन्दा इकठ्ठा करने के कार्य से दूर रखा जाय तो अच्छा होगा
Thursday, 10 September 2015
मॉसाहार पर पाबंदी कही यह राजनीति तो नही
भारत में हम स्वंतंत्र है हमे खाने पहनने की आजादी होनी चाहिए.
यहॉ इतने सारे धर्म है हर किसी के अपने अपने नियम है पर धर्म के नाम पर खाने की आजादी पर पाबंदी लगाना ठीक नही है
जब तक किसी को हम तकलीफ न दे
शाकाहारी कहने वाले मॉसाहारियो के बीच बराबर घर लेते है पर उनकी सोसायटी मे कोई दूसरा घर नही ले सकता
यहॉ तक बच्चो को भी साथ खेलने पर पॉबदी लगाते हैं
अगर ऐसा रहा तो हर दूसरा अपनी मॉग रखेगा
यह बहुत बडी राजनीति है लोगो को बॉटने का काम किया जा रहा है
इसके दूरगामी परिणाम होगे
ऐसा नही हो कि बाद मे पछताना पडे
किस किस को संतुष्ट किया जाएगा