Sunday, 4 January 2015

हर व्यक्ति डरा और आशंकित क्यों ?

पुराना साल गया और नए साल ने दस्तक दे दी है,
सब ने जश्न तो मनाया पर कही न कही डर के साथ,

आतंकवाद का साया मंडरा रहा है, कुछ लोगो ने सुरक्षा की दृश्टि से घर और सोसाइटी में मनाया,
तो कुछ लोग बाहर गए पर आशंकित मन से,
बच्चे बाहर है, पर माँ - बाप को तब तक चिंता जब तक घर न आ जाये,

बलात्कार, चोरी, लूट - खसोट और बम - ब्लास्ट,
कही भी सुरक्षित नहीं है व्यक्ति,
अब तो डर लगता है क्यूंकि किसी पर और कही भी विश्वास नहीं,
आशा है नया साल भय - मुक्त रहेगा।


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