अहंकार था जो महान-बलशाली,महा-विद्वान,वेदो का ज्ञाता,शिव-भक्त रावण को भी ले डूबा
हमारे नेता और पार्टिया वोट मिल जाने पर अहंकार और मध में आकर न जाने क्या क्या बोल जाते है
राजनीती,राजनीती की स्तर पर होनी चाहिए
ओछी राजनीती करके यह हिटलरशाही से किसी का भला नहीं होगा
केजरीवाल और उनके नेता,मीडिया,प्रधानमंत्री,राज्यपाल और प्रशासनिक कार्य में लगे हुए
व्यक्तियों पर आक्षेप और आरोप-प्रत्यारोप करने की अपेक्षा सार्थक कार्य और प्रयास करे।
किसी की जय तो किसी की पराजय यह तो प्रकृति का नियम है
पर इसका यह मतलब नहीं की AAP कुछ भी करेंगे और कुछ भी कहेंगे
इतिहास गवाह है की दिल्ली किसी एक की कभी नहीं रही।
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