मांग मेरी और उसमे सिन्दूर तुम्हारे नाम का
कोख मेरी,दूध मेरा,खून मेरा और बच्चा तुम्हारे नाम का
आखिर ये कैसी परंपरा है?
हमें पैदा होने से पहले मार देते हो या फिर पैदा होने के बाद
महेश भट्ट की यह फिल्म एक क्रन्तिकारी नारी की कहानी
जो इसी जनम में पति से अलग होना चाहती है
वह सीता या सावित्री नहीं जो जन्मो जनम तक अत्याचार सहे
और अपना पत्नी धरम निभाए
यह जीवन का जिया हुआ सच है और तमाम लोगो की अधूरी कहानी।
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