डर लगता है किसी से अपनापन स्थापित करने में
न जाने किस वेश में ठग और धोखेबाज मिल जाय
डर लगता है जी खोल कर बतियाने में
न जाने कब कौन सी बात का बतंगण बन जाये
डर लगता है किसी को जवाब देने में
न जाने कब वह किस बात का बदला ले
डर लगता है किसी को गलत करते देख टोकने से
न जाने कब कौन- सा कदम उठा ले
हर शख्स परेशान और हैरान ,बदहवास
बात - बात पर लडने को तैयार
न कुछ सुनना चाहता है न कुछ कहना
प्यासे भले मर जाय पर किसी का दिया पानी भी पीना मुश्किल
न जाने पानी में कब जहर मिला बेहोश कर लूट ले
पडोसी के घर आने - जाने में भी डर
बच्चों को रिश्तेदारों के साथ भेजने में भी डर
न जाने कब हवस का भूत हावी हो जाय
दोस्तो से सम्रद्धि का बखान करने में भी डर
न जाने कब अपहरण हो जाय
अपनों को बोलने और डाटने में भी डर.
न जाने कौन - सी बात पर जीवन गवा बैठे.
हर बात पर डर
डर - डर कर जीना यही शायद हमारी नियति बन गई है
किसी नेता के बेटे की गाडी ओवरटेक करने के कारण एक नवयुवक को जान गंवानी पडी
यह नेता जो जनता के कारण ही बनते हैं वही जान लेने का कारण भी बनते हैं
मनोरमा देवी के बेटे को गिरफ्तार करने में इतना वक्त
बिहार के सुशासन बाबू क्या कर रहे हैं
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