Friday, 10 June 2016

पशु की जगह जंगल है बस्तियॉ नहीं

नीलगाय,हाथी ,मोर ,बंदर ऐसे ही न जाने कितने पशु
इनको को जंगल में रहना है पर ये फसलों और खेतों को बरबाद कर रहे हैं
मारने के नाम पर सरकार के मंत्रियों में ही मतभेद
पर क्या उपाय है!!???
कडी मेहनत और दिन- रात एक कर किसान फसल उगाता है और पल भर में इनका झुंड बर्बाद कर डालता पशु जंगल में रहे और इंसान बस्तियों में
पर जब पशु अतिक्रमण करते हैं तो इंसान का जीना हराम कर डालते हैं
बंदरों का उपद्रव तो जगजाहिर है
कुत्ते तो सडक पर चलना दूभर कर रखा है
कितने लोग इनके काटने पर हर साल काल के गाल में समा जाते हैं
भय का वातावरण निर्माण कर रखा है
जीने का अधिकार सबको है पर अपनी जान पर बन आए तो क्या किया जाय
जानवर अगर हब्शी बन जाय तो
जानवरों की फूड चेन होती है ,सब एक- दूसरे पर आधारित रहते हैं
कहीं न कहीं यह गडबडा रहा है
मनुष्य को जंगल काटना और पशु वध पर पॉबदी है
तो पशुओं का उपद्रव सहन नहीं किया जा सकता

No comments:

Post a Comment