मैं जननी हूँ ,माता हूँ और सबसे प्यारी भारत माता हूँ
मेरे बच्चों ने मुझे गुलामी से आजाद कराया
मुझ पर अपनी जान न्योछावर की
मेरे भोले- भाले बच्चे समझ ही नहीं पाए कि व्यापारी बनकर आए लोग हम लोगों पर राज करेंगे
पर जब समझ आया तो फिर वह जलवा दिखाया
फिरंगी परेशान हो भागे
झॉसी की लक्षमी जैसी बेटी हो
मोहनदास ,जवाहर और भगतसिंह जैसे बेटे हो
लोकमान्य तिलक और आजाद जैसे लाल हो तो फिर अधिकार क्यों नहीं मिलता
सुभाष जैसे खून के बदले आजादी देने की बात करे
विदेश में जा आजाद हिंद फौज तैयार कर दिल्ली कूच करने का बीडा उठाया
लाल ,बाल ,पाल की तिकडी हो तो मॉ कैसे आजाद नहीं होती
.
मॉ के लिए तो सभी बच्चे बराबर होते हैं
मॉ हर बच्चों को उतना ही प्यार करती है
वह कोई भी जाति और धर्म का हो
मुझे अपने सभी बच्चों से उतना ही प्यार है
हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,पारसी ,जैन ,बौद्ध.
दलित हो या उच्च वर्गीय
हॉ पर जो कमजोर है उन पर अन्याय न हो
जो संख्या में कम हो उन्हें भी बराबर का हक मिले
मेरे बच्चों ने यह भी किया संविधान बनाकर
मैं फलती - फूलती रही और खुश होती रही
अपने बच्चों को भी
फलते - फूलते देखकर. विकास करते देखकर
मॉ क्या चाहेगी
पर आज मैं सिसक रही हूँ
मुझे दुख हो रहा है अपने बच्चों को आपस में लडते देखकर
एक - दुसरे की जान के दुश्मन बन बैठे है
एक बडा भाई छोटे को सता रहा है
मॉ का दिल तो तब खुश होगा जब मेरे सारे बच्चे
आपस में प्रेम और भाईचारे से रहे
शॉति रहे तो विकास भी होगा
मेरा नाम सारे जग में रोशन होगा
आज आजादी की ७० वी वर्षगॉठ पर उपहारस्वरूप
प्रेम ,सद्भभाव ,समता ,एकता ,स्वच्छता और ईमानदारी
चाहती हूँ
आशा है मेरे बच्चे मेरी इस इच्छा को पूरा करने की पुरजोर कोशिश करेंगे
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