मैंने अपनी एक सहकर्मी से पूछा
आजकल दिखाई नहीं दे रही
जवाब मिला
क्या करू काम इतना कि गुम हो गई हूँ
दूसरी अभी - अभी आई ही थी घंटी बज उठी
संकेत था भागो ,समय बैठने का नहीं
तीसरी भागी- भागी आई
रेलगाडी लेट है ऊपर से बारीश से बेहाल
चौथी बच्ची का स्पोर्ट था उसको छोड भागती आई
पॉचवीं को बुखार आ रहा
खॉस रही ,लडखडा रही , फिर भी हाजिर तो होना है
यह तो हुई पॉच की बात
पर आज हर पॉचवें व्यक्ति की हालत यही
सुबह उठते ही भागमभाग शुरू
नहाना- धोना ,खाना - कपडा - बर्तन ,बच्चों की तैयारी
स्वयं तैयार होना ,कभी चाय पीना ,कभी आधी कप में ही छोड पर्स उठा भागना
समय नहीं है
ट्रेन ,बस ऑटो जो पकडना है
काम की आपाधापी में हम इतना व्यस्त है
न अपने लिए समय न दूसरों के लिए
उम्र बीतती जा रही है
बीमारियों का घर बन जाता है शरीर
सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद जिंदगी आराम से कटेगी
कहॉ का आराम??????
जब शरीर ही साथ न दे तो
उठना - बैठना मुश्किल
सारी शक्ति तो भागने - दौडने में खर्च कर दी
बचा क्या है इस हाड- मांस के शरीर में
स्मरण शक्ति भी क्षीण हो रही
सब कुछ तो आपाधापी में बीत गया
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 9 October 2016
आज के हालात - हर कोई परेशान
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment