Sunday, 4 June 2017

इंसान की उपेक्षा ,पशु की सुरक्षा

एक आदमी को देखा
सर पर बडा - सा बोझ उठाए
पैर लडखडा रहे थे
चला नहीं जा रहा था
पर फिर भी बोझ ढो रहा था
क्योंकि वह इंसान है ,पशु नही
पशुओं को तो खाना नसीब हो जाएगा
उनकीे देखभाल भी हो जाएगी
कुछ पशुओं की सेवा में तो नौकर- चाकर रहते हैं
अगर उन पर कुछ समस्या आई
तो पशुप्रेमी आकर मोर्चा संभाल लेंगे
उनसे काम नहीं करवाना है
पशुओं को बचाने के मामले में इंसान की जान
    जाय तो जाय
पर उन पर ऑच न आय
इंसान पर कोई दया नहीं
हाथ- पैर है
कमा कर खा सकता है
मेहनत कर सकता है
घोडा ,गधा ,कुत्ता ,गाय,बैल ,भैस
यह तो सदियों से इंसान के साथी रहे हैं
उसके कार्य और घर में हाथ बटाया है
इंसान ने भी उनकी वैसे ही देखरेख की
पहली रोटी गाय की होती थी
फिर कुत्ते की
उनको भी ठंडी ,गर्मी ,बरसात से बचाया जाता था
उनके लिए भी छत का निर्माण होता था
पर आज इतना विवाद
इंसान को कम ऑका जा रहा है
कुत्ता न जाने कितनों की जान ले
पर उसे कुछ नहीं करना है
इतना खौफ कि
गाय को बचाते- बचाते पुलिस की जीप ने इंसान की जान ले ली
डर होगा कहीं इसे कुछ हो जाता
तो दंगे - फसाद और बवाल मच जाएगा
जान- बूझकर किया लगेगा
वैसे भी माहौल गर्म है
हर कोई पशु की बिसात पर अपनी रोटी सेकने को तैयार है
इस मूक प्राणी से भी फायदा लेने से नहीं चूका

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