Wednesday, 6 December 2017

मैं और मेरा असतित्व

मैं कौन और क्या ???
मेरा असतित्व क्या??
पहचानने की कोशिश पर उत्तर नहीं
किसी की बेटी ,पत्नी ,मॉ
दुनिया की निगाह में सर्वसंपन्न
पर अंतरतम रीता
मन है कि खुश होने का नाम नहीं लेता
कुछ पीडा है जो सालती है , सब पर हावी हो जाती
विधाता का विधान , भाग्य का लेखाजोखा या कर्म
जो कुछ चल रहा है जैसे चल रहा है , ठीक ही है
हमारा तो वैसे ही कुछ वश नहीं
हर सुबह गुजरती है ,हर रात बीतती है
ईश्वर  का धन्यवाद है
मेरे अपने खुशहाल और सलामत रहे
हर पल खुश रहना चाहिए
कभी - कभी यही एक पल का दुख सारे पलो पर भारी पड जाता
जीवन बदल डालता है
जीवन की दिशा को ही मोड देता है
कहना आसान है हर पल जीओ
बीती ताहि बिसार दो
वास्तव में यह नामुमकिन है
जीवन हमारा ,पीडा हमारी
दूसरे तो दर्शक है
कुछ ऑसू बहाएगे ,कुछ तालियॉ ,कुछ व्यंग्य
जब तक कि ऊपर वाला अपना निर्णय नहीं बदलता
परदे गिरने तक सब इंतजार में रहते हैं
झॉकने की कोशिश करते रहते हैं
ठीक तो उसी को करना है , हम तो विवश है
कब वह सुध लेगा पता नहीं
विश्वास तो है
अगर १२ साल बाद घूरे की किस्मत बदल सकती है तो इंसान की क्यों नहीं

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