Friday, 18 May 2018

अकेला

चला था अकेला
राह मे लोग मिलते गए
साथ जुडते गए
मैं हर मुश्किल का सामना करता रहा
कभी गिरा कभी संभला
सफलता की हर सीढी पार कर मुकाम पर पहुंचा
आज पीछे मुडकर देखा
महसूस हुआ
यह उपलब्धि मेरे अकेले की ??
शायद नहीं
बहुत लोगों का सहयोग है
आज अनुभव हो रहा है
हम ,हम ,हम केवल हम
इस भ्रम मे मत रहना
याद करिए उनके योगदान को
शायद छोटा ही सही
पर मददगार साबित हुआ
ऊपर मंजिल तो हासिल की
पर उस सीढी का क्या
जिसने मौन रहकर अपना काम किया
बिना किसी स्वार्थ के
हर कदम पर ऊपर बढाया 

आपको सहारा दिया

मुसीबत ,सुख - दुख मे
उसे भूलना तो अहसान फरामोश होगा
हर उसका शुक्रिया अदा करिए
जो शख्स आपकी सफलता का भागीदार बना हो
अकेला तो चना भी भाड़ नहीं फूकता

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