Friday, 25 May 2018

जिंदगी कैसी है पहेली

जिंदगी कैसी है पहेली
समझना बहुत मुश्किल
जब लगे कि अब सब सही
तब अचानक आ जाती समस्या
साल दर साल यही देखा
कभी शांति की साँस नहीं लेने दी
पल -पल रंग बदलती यह
कभी खुशी तो कभी गम
अब तो कोई समस्या नहीं
यह सोचना ही बेकार
एक गई कि दूसरी सर उठाकर तैयार
हमारी इच्छा भी तो ऐसी ही
कभी हम संतुष्ट नहीं हो पाते
तब यह कैसे चुप रहे
अपना कार्य करती रहती है
एक समान आता है कि
अब यह भी बिदा ले लेती
और हम शून्य मे विलिन
तभी तो कहते हैं
चलना जिंदगी
रूकना मौत
चुपके से आती है
गति रत रहती है
और बिना बताए चुपचाप
निकल लेती है
लोग ताकते रह जाते हैं
पर रोक नहीं पाते
यह किसी के बस मे नहीं

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