Wednesday, 4 July 2018

संध्या रानी

संध्या रानी पधार रही
सूर्यदेव बिदा हो रहे
अपनी छवि बिखेरती
खूबसूरत ,मनोरम छटा
हर कोई देख मोहित
सिंदूरी आभा
काली घटा
उमड़ते -घुमड़ते बादल
मानो स्वागत कर रहे
बहुत तप गए
अब तो शीतलता प्रदान करो
स्वागत मे सब खडे
नीरव ,शांति की बाट जोहते
कुछ सुकुन मिले
कर ली दिन भर आपाधापी
सूर्यदेव भी प्रस्थान कर रहे
विश्रांति के लिए

प्रतीत हो रहा धरती -आसमान मिलने को बेताब

सिंदूरी रथ पर सवार पधार रही

सब पर छा रही

स्वागत है आपका


No comments:

Post a Comment