मृत्यु जीवन का निरंतर खेल
करती रहती आँखमिचौली
जीवन पर हावी होने की करती रहती कोशिश
पर जिंदगी भी अपनी जिद मे खडी
तुम तो आओगी केवल एक बार
पर मैं तो हर पल
हर लम्हें को जीती
मेरी उम्र भी लम्बी
यह तो नहीं पता
कितनी????
पर तुमसे तो अच्छी
तुम डराती रही
पर मैं तो अपनी ही धुन में सवार
आगे बढ़ती गई
माना तुम अटल सत्य हो
पर मैं अपने कृतत्व से अमर हूँ
मौत से तो मैं हार नहीं सकती
पर जिंदगी को जी सकती हूँ
और इस तरह तो मैं तुमको पीछे कर देती हूं
तुमसे लोग डरते हैं
मुझसे प्यार करते हैं
और जीना चाहते हैं जी भर
बस यही बहुत है
मैं हूँ तो उम्मीद है
और उम्मीद पर तो दूनिया कायम है
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Saturday, 18 August 2018
ऐ जिंदगी
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