Wednesday, 19 December 2018

नाम न हो बदनाम

नाम मे क्या रखा है
व्यक्ति की शख्सियत है नाम
भारत के प्राचीन पौराणिक नाम को देखा जाय
हर नाम कुछ कहता है
आजकल राजनीति मे भी डुप्लीकेट नाम की भरमार
पप्पू और फेंकू
यह तो दो बड़े शख्सियत के लिए संबोधन
जो सर्वथा उचित नहीं
राजनीति मे भी मर्यादा तो होनी ही चाहिए
जब लोग कहते हैं
पप्पू पास हो गया
यह जुमला है किसी के लिए
किसी को हराना है
काम से हराए
दुर्वचनों से नहीं
वैसे ही फेंकू का इस्तेमाल
इससे तो साख ही गिरती है
वह व्यक्ति जो इतने बड़े पद पर बैठा है
प्रतिष्ठित है
हर एक के मन मे उनके प्रति आदर की भावना होनी चाहिए
वे जननायक हैं
अतः राजनीति करें पर मर्यादित
व्यक्ति गत आक्षेप से नेता बचे
नाम ,कुल ,गोत्र ,जाति को छोडे
ईमानदारी से काम करें
मतभेद तो होगे ही
पर इतना नीचे न उयरे
कि मिलने पर आँख न मिला सके

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