मां जार - जार रो रही है
उनकी संतान आपस मे लड़ रही है
मार -काट कर रही है
यह तो उसने नहीं सिखाया था
उसकी संतान इतनी स्वार्थी कैसे हो गई
एक -दूसरे की जान के दुश्मन कैसे बन गए
इतना लालच
इतना विद्वेष
इतनी कटुता
भाई ,भाई को फूटी आँख नहीं सुहाता
उसके लिए तो सब समान
किसी के साथ अन्याय नहीं चाहती
उसने कोई भेदभाव नहीं किया
सबको समान प्यार बांटा
देखभाल की
पढ़ाया -लिखाया
काबिल बनाया
उसका यह परिणाम
संपत्ति सबको चाहिए
मां किसी को नहीं
संपत्ति का बंटवारा तो खुशी खुशी
मां का बंटवारा नहीं
वह तो भार है
यह भार कोई उठाना नहीं चाहता
उसने तो खुशी खुशी नव महीने इनका भार उठाया था
खुद भूखी रह
मुंह का निवाला खिलाया था
आज वह ऐसा भार
जो सबसे भारी
संपत्ति भी उसके आगे हल्की
प्यार पड़ गया ओछा
नहीं थी संतान से ऐसी अपेक्षा
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Monday, 15 April 2019
नहीं थी संतान से ऐसी अपेक्षा
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