नेताजी घूम रहे हैं गली गली
हर नुक्कड़ पर रूक रहे
लोगों से मिल रहे हैं
हाथ जोड़ रहे हैं
किसी -किसी से गले भी मिल रहे
चेहरे पर मुस्कान लपेटे हुए
धूप -गर्मी की परवाह नहीं
घंटों पैदल चलते भी नहीं थकते
रात -दिन एक कर रहे
पांच साल बाद आया है यह मौसम
मेहनत तो करनी ही पड़ेगी
मलाई जो खानी है
सत्ता का स्वाद जो चखना है
आलीशान गाड़ी मे सफर करना है
तब पैदल चलना होगा
जबान भी लड़खड़ा जाती है
फिर संभल जाते हैं
अपनी ही बात का खंडन कर डालते
विपक्ष पर जम कर प्रहार
क्योंकि आया है
लोकतंत्र का त्योहार
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 7 April 2019
नेताजी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment